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रविवार, 10 अप्रैल 2016

bagheli kavitaसरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा।

बघेली 
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा। 
सुन्दर कानी कबरी हिबै मोबाइल मा। । 

क्याखर कासे प्यार की बातैं होती हैं 
दबी मुदी औ तबरी हिबै  मोबाइल मा। । 

विस्वामित्र मिसकॉल देख बिदुराय लगें 
अहा !मेनका परी हिबै  मोबाइल मा। । 

नई सदी के हमूं पांच अपराधी हन 
जाति गीध कै मरी हिबै  मोबाइल मा। । 

कोउ हल्लो कहिस कि आँखी भींज गयीं 
कहू कै खुश खबरी हिबै  मोबाइल मा। । 

अब ता दण्डकवन से बातें होती हैं 
श्री राम कहिन कि शबरी हिबै  मोबाइल मा। । 

''हँस ''बइठ हें भेंड़ा भिण्ड बताउथें 
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा। 
हेमराज हँस 

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।

        *लोकगीत  * दार महँगी  है  खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी  ।    भाव     सुनत  मा    लागय   ठुसका।। दार महँगी  ।।     किधनव  बनाउब  पान...