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शनिवार, 12 अक्तूबर 2019

मुक्तक

कोऊ सड़क कोउ पट्टी खाय गा।
कोऊ बोरा कोऊ कट्टी खाय गा।।
केत्ती घिनही भूंख बढी मोरे देस मा
कोऊ शौचालय सहित टट्टी खाय गा।।            🌻🌻🌻🌻🌻
वा बड़ा हुसिआर है नारा बेचा थै
चोरन का सरदार है पै तारा बेंचा थै
हम ओखशील सोहबत का प्रनाम करी थे वा भाई चारा काटैं बाला आरा बेंचा थै
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मंगलवार, 8 जनवरी 2019

मुक्तक

शनीचचढ़ा कुसाइत गेर लेथी
जनता से जुड़य त शबरी बेर दे थी।।
पुन चह करेजा धइ द्या निकार के
रइय्यत राम राजव मा बगाबत हेर ले थी

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।

        *लोकगीत  * दार महँगी  है  खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी  ।    भाव     सुनत  मा    लागय   ठुसका।। दार महँगी  ।।     किधनव  बनाउब  पान...