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रविवार, 29 नवंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।: हम जानी  थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।  आँधियार सुरिज कै सराध करय आये हें। । एक बेर ठगा गा विंध्य ता निहुरा है झुकेही मा  उइ पुनि के &#3...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।: हम जानी  थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।  आँधियार सुरिज कै सराध करय आये हें। । एक बेर ठगा गा विंध्य ता निहुरा है झुकेही मा  उइ पुनि के &#3...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।: उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।  भूखी गंडाही कै अकरास नापा थें। । पखना जमे का घमण्ड देख ल्या  ''सम्पाती ''सुरिज का अक...

उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।

उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें। 
भूखी गंडाही कै अकरास नापा थें।
पखना जमे का घमण्ड देख ल्या 
''सम्पाती ''सुरिज का अक्कास नापा थें। । 
हेमराज हंस ====  

हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।

हम जानी  थे उइ भण्डा सराध करय आये हें। 
आँधियार सुरिज कै सराध करय आये हें।
एक बेर ठगा गा विंध्य ता निहुरा है झुकेही मा 
उइ पुनि के ''अगस्त''अस अपराध करय आये हें। 
हेमराज हंस ===9575287490 

सोमवार, 23 नवंबर 2015

bagheli poem गरीबन के निता सब मनसेरुआ हें।

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गरीबन के निता सब मनसेरुआ हें। 
बिचारे के खटिआ मा तीन ठे पेरूआ हें। । 
चाह रजन्सी रही होय य की लोकतंत्र 
मंहगाई गुंडई पकरिन ओकर चेरुआ हें। । 
 वा सदमा से भनेजिन बिहोस परी ही 
मामा कहा थें संच मा भइने बछेरुआ हें। । 
जब से महँग भै दार ता लपटा खई थे
उनखे  निता चुकंदर हमहीं रेरुआ हें । । 
उनखे सुची रास मा गउर धरी ही 
सत्तर साल से हंस के गोहूँ मा गेरुआ हें। । 
हेमराज हंस  

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : दादू भांगर भइला होइ गा।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : दादू भांगर भइला होइ गा।:     दादू भांगर भइला होइ गा।  उज्जर तक मटमइला होइ गा।                                  हम जेही बज्जुर का मान्यन  फाट  के चइला  चइला गा।...

शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

दादू भांगर भइला होइ गा।

   दादू भांगर भइला होइ गा। 

उज्जर तक मटमइला होइ गा। 
                               
हम जेही बज्जुर का मान्यन 
फाट  के चइला चइला गा। । 
हेमराज हंस      

बुधवार, 18 नवंबर 2015

धम्मन फट गा हरमुनिया का।

धम्मन फट गा हरमुनिया का। 
ह्यरा भाई कहूँ गुनिया का। । 
जे भाई चारा के सरगम से 
रंजे रह्य पूरी दुनिया का। । 
हेमराज हंस

मंगलवार, 17 नवंबर 2015

पुलिस जाना थी जेबकतरा आय।

पुलिस जाना थी जेबकतरा आय। 
हमरे समाज का खतरा आय। । 
तउ सलामी ठोक रही ही 
वा  राजनीत का रकरा आय। । 
हेमराज हंस 

रविवार, 15 नवंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बड़े जबर संगठन हें

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बड़े जबर संगठन हें: बड़े जबर संगठन हें जात बाद के हेत।  तउ बिटिया के बाप का बिकिगा सगला खेत। ।  हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।: जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।  सुदिन देख ह्यराय चलें जब बिटिया का काज। ।  जब बिटिया का काज जबर है दइजा  नाहर।  सुन दहेज़ का भाव थूंक...

शनिवार, 14 नवंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।: जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।  सुदिन देख ह्यराय चलें जब बिटिया का काज। ।  जब बिटिया का काज जबर है दइजा  नाहर।  सुन दहेज़ का भाव थूंक...

जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।

जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज। 
सुदिन देख ह्यराय चलें जब बिटिया का काज। । 
जब बिटिया का काज जबर है दइजा  नाहर। 
सुन दहेज़ का भाव थूंक न निकरै बाहर। । 
बिन दइजा  के बड़ मंशी का को अपनाई। 
हंस कहिन बस वोट के खातिर ही जातिहाई।। 
हेमराज हंस  

बड़े जबर संगठन हें

बड़े जबर संगठन हें जात बाद के हेत। 
तउ बिटिया के बाप का बिकिगा सगला खेत। । 
हेमराज हंस 

मंगलवार, 3 नवंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। ।: हम सब उनखर छक्का पंजा जानी थे।  अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। ।  जब उनखे मूड़े बीत ता हम बिदुरात रहयन  अब हमरे घुटकी कसी शिकंजा जानी थे...

अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। ।

हम सब उनखर छक्का पंजा जानी थे। 
अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। । 
जब उनखे मूड़े बीत ता हम बिदुरात रहयन 
अब हमरे घुटकी कसी शिकंजा जानी थे। । 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब कुरसी मारैं लागै लात

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब कुरसी मारैं लागै लात: उइ हमरे जिव के घ्यामन हें।  औ ओइन बड़े दयामन  हें। ।  जब कुरसी मारैं लागै लात  जाना सत्ता मा रावन हें। ।  हेमराज हंस

जब कुरसी मारैं लागै लात

उइ हमरे जिव के घ्यामन हें। 
औ ओइन बड़े दयामन  हें। । 
जब कुरसी मारैं लागै लात 
जाना सत्ता मा रावन हें। । 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : शनीचर चढ़ा ता कुसायित गेर ले थी।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : शनीचर चढ़ा ता कुसायित गेर ले थी।: शनीचर चढ़ा ता कुसायित गेर ले थी।  जनता से जुड़े मा ''शबरी''बेर दे थी। ।  चाहे करयाजा धइ द्या निकार के  रय्यत रामराजव मा धो...

शनीचर चढ़ा ता कुसायित गेर ले थी।

शनीचर चढ़ा ता कुसायित गेर ले थी। 
जनता से जुड़े मा ''शबरी''बेर दे थी। । 
चाहे करयाजा धइ द्या निकार के 
रय्यत रामराजव मा धोबी हेर ले थी। । 
हेमराज हंस --- 

बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।।

जेखे  आंखर  बने  हें,  जनता  के स्वर दूत। बंदन  है  जयराम जी, बिन्ध्य  के बानी पूत।।  सादर  ही  शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...