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सोमवार, 29 जनवरी 2024

मेरी पसंद

 मेरी पसंद 
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देख पालकी जिस दुल्हन की बहक गया हर एक बाराती 
जिस के द्वार उठेगा घूँघट जाने उस  पर क्या बीतेगी। 
एक रोज सपने में छू कर  तन मन चन्दन वन कर डाला ,
जो हर रोज छुआ जायेगा उस पागल पर क्या बीतेगी। । 
स्व. मुकुट बिहारी सरोज 
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रोज खा ली हाथ घर लौट कर जाता हु मैं। 
मुस्कुरा देते हैं बच्चे  और मर जाता हु मै। 
राजेश रेड्डी 
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हादसों की जद  में हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें। 
आ गया भूकंप तो क्या घर बनाना छोड़ दें। 
तुमने मेरे घर न आने की कसम खाई तो है 
आंसुओ से भी कहो आँखों में आना छोड़ दें। 
वासिम वरेलवी 
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रविवार, 21 जनवरी 2024

 अबध मा  बिराजे रघुनन्दन। 
अपना का बधाई अभिनन्दन।। 

पूर   देस   डूबा   उराव  मा। 
नगर नगर औ गांव गांव मा
अस्तुति करैं राम कै जनजन। 

दुनिया   देखिस  सीना छप्पन।
अउ भारत  का सहज बड़प्पन 
नैनन निरख्यन ऐतिहासिक छन । 



  
    

गुरुवार, 18 जनवरी 2024

गांधी बादी देंह मा, बाम पंथ के प्रान।।

 हे जग जननी सारदे, मै मांगों कर जोर।

भारत मा सुख संच कै,पबन बहै चहुओर।।


नबा साल मा सब जने, रहैं निरोग प्रसंन्न।

सब काही रोजी मिलय, खेतन मा हो अन्न।।


राघव मरजादा दिहिन, औ माधव जी कर्म।

दुइ लीखन मा चलि रहा,सत्य सनातन धर्म।।


राम देस कै आतिमा, राम देस के प्रान ।

हमरे भारत देस कै, रामै  से  पहिचान ।।


अबधपुरी मा पूर भा, मंदिर का निरमान।

सदिअन के बलिदान का, अबै मिला है मान।।


केत्तेव पुरखा गुजरिगें लये हिदय मा हूक।

आजु तृप्त भै आतिमा लउलितिया कै भूख।।


जय जय पाबन अबध कै जय जय भारत बर्ष।

मंदिर के निरमान का जन जन मा है हर्ष।।


आदि पुरुस जहाँ मनू भें, करिन सृष्टि निरमान।

अजोध्या पाबन धाम है , मनुज का मूल अस्थान।।


किहिस सनातन सब दिना, जन मंगल का गान।

प्राणी मा सद भावना, बिस्व केर कल्यान।।


अपने भारत देस मा कबिता बड़ी लोलार। 

छत्रसाल  राजा  बने  कबिता  केर कहार।।


 नेता   जी  के  नाव  से  उभरै  चित्र  सुभाष।

अब के नेता लगि रहें जइसा नहा मा  फांस।। 


बड़े जबर संगठन हें जात बाद के हेत। 

तउ बिटिया के बाप का बिकिगा सगला खेत। । 


साहब सलाम औ पैलगी, गूंजै राम जोहर। 

अबहूँ अपने  गाँव मा,  बचा  हबै   बेउहार। । 


ओतुन परबस्ती करा , जेतू कूबत पास।

परोपकार मा चला गा ,भोले का कैलास।। 


देखा  केतू  गहिर  है  लोकतंत्र  का कुण्ड।

राजकुमार जयंत तक बनगे कागभुसुण्ड।।

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कहिस कुलांचै धरम  का, दिहिस आतिमा रोय।

जइसा  कउनव  बाप कै, बिटिआ भागी होय।। 

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जउनै दल हेन न करी, धरम कै जय जयकार।

बामपंथ  अस  होइ  जई,  वाखर   बंटाधार।। 

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राजनीत कै नीचता, देखि के जुग चउआन।

गांधी  बादी  देंह  मा,   बाम   पंथ  के  प्रान।।


बब्बा जी कीन्हिन रहा खसरा केर अपील।

नाती तक पेसी चली बिदुराथी तहसील।।  

*********हेमराज हंस **************


बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।।

जेखे  आंखर  बने  हें,  जनता  के स्वर दूत। बंदन  है  जयराम जी, बिन्ध्य  के बानी पूत।।  सादर  ही  शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...