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शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

मैहर मा चमकत रहैं, राम नरेश आदित्य।

 पीरा गावय  मा कबव, करय कसर न शेष।

आंसू के राज कुमार हैं, कबिबर रामनरेश


।।


जिनखे लेखन मा हबै, शब्दन कै  मरजाद ।

कविता सीधे हिदय से, करै  करुन  संबाद।।

 

पयसुन्नी  अस सब्द का, जे पूजय  दिनरात। 

कबिता उनखे निता ही, जीबन कै जरजात।।   

 

गीत ग़ज़ल कै आरती ,  दोहा कविता छंद।

आंखर आंखर आचमन, अंतस का आनंद।।

 

शब्द  ब्रह्म  का  रुप है,  वर्ण  धरै जब भेष।

मइहर  मा  एक  संत  हैं, पंडित रामनरेश।।


लगय कटाये घाट अस, सब्दन का लालित्य। 

मैहर मा  चमकत रहैं,  राम नरेश आदित्य।। 

बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।।

जेखे  आंखर  बने  हें,  जनता  के स्वर दूत। बंदन  है  जयराम जी, बिन्ध्य  के बानी पूत।।  सादर  ही  शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...