बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
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गुरुवार, 15 मार्च 2018
रचनाकार: हेमराज त्रिपाठी की बघेली कविताएं
रचनाकार: हेमराज त्रिपाठी की बघेली कविताएं: बघेली कविता श्री वाणी वंदना 1 .............................. हे मातु शारदे संबल दे तै निरबल छिनीमनंगा का। मोरे देस कै शान बढै औ बाढै मान...
रविवार, 10 जनवरी 2016
रविवार, 28 जून 2015
रविवार, 17 मई 2015
ये भी उसकी काफिआ सी लगती है। ।
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राजनीति माफिआ सी लगती है।
ये भी उसकी काफिआ सी लगती है। ।
हेमराज हंस
राजनीति माफिआ सी लगती है।
ये भी उसकी काफिआ सी लगती है। ।
हेमराज हंस
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बघेली लोक साहित्य जब से मूड़े मा कउआ बइठ है। अशगुन लये बऊआ बइठ है। । इंदिरा आवास कै क़िस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ ...
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पहिले जब खड़े होकर लघु शंका करना निषिद्ध माना जाता था। तब की बात है।एक बालक खड़े होकर लघुशंका कर रहा था। गांव के एक बुजुर्ग ने देखा तो उसे...
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BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै... : बघेली कविता www.baghelisahitya.co...
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बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।।
जेखे आंखर बने हें, जनता के स्वर दूत। बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।। सादर ही शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...