मनो रोग के बैद से, कर बाई उपचार ।
उमिर भै अस्सी पार तउ, रोगी हमैं बिचार।।
कर बाई उपचार, दृष्टि मा दोख है दददा।
चीकन चांदन राह, लगै अपना का खडडा।।
बलिहारी या समय का कइसा हबय कुजोग।
जे हमार सम्माननीय ,ग्रस्त हें मन के रोग। ।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
जेखे आंखर बने हें, जनता के स्वर दूत। बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।। सादर ही शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...