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सोमवार, 29 जून 2015

तुलसी के बगिया मा नकटी कहां से आय गै।

मुक्तक 

तुलसी के बगिया मा नकटी कहां से आय गै। 
यतना पचामै कै शक्ती कहाँ से आय गै  । । 
गोकरन के सभा मा धुंधकारी कै धाक ही 
सत्ता के व्याकरण मा विभक्ति कहाँ से आय गै। । 
हेमराज हंस ----9575287490 

नकटी--एक तरह की झाड़ी 

रविवार, 28 जून 2015

तोहरे प्रेम के चिन्हारी अस।

तोहरे प्रेम के चिन्हारी अस। 


गउद औ पइनारी अस। । 
सरा थी आंसू मा 
जीवन के अमारी अस। । 
हेमराज हंस 

मौन के पीड़ा की अनुभूति देखिये।


मौन के पीड़ा की अनुभूति देखिये। 
सदाचार का भ्रष्टो से  सहानुभूति देखिये। । 
विश्वास आहत हो रहा है लोक तंत्र का 
पदों औ क़दों की प्रतिभूति देखिये। । 
हेमराज हंस 

hemraj hans वे दूध के धुले हैं।


वे दूध के धुले हैं।
रहस्य अभी खुले हैं। ।
ये स्थाई समस्या के
कुछ बुल बुले हैं। । ------हेमराजहंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli boliभरे आषाढ़ मा बरदा हेराय गा।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli boliभरे आषाढ़ मा बरदा हेराय गा।: बघेली बोली  भरे आषाढ़ मा बरदा हेराय गा।  जइसा रीढ़ हीन का गरदा हेराय गा। ।  अब 'चाल चेहरा चरित्र 'कै चर्चा नही चलै  घिनहा पा...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli boli जब हवन कुण्ड मागय लगा पण्डित का बलिदा...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli boli जब हवन कुण्ड मागय लगा पण्डित का बलिदा...: जब हवन कुण्ड मागय लगा पण्डित का बलिदान।  पूजा पत्री छोड़ के पेल भगें जजमान। ।  हेमराज हंस --9575287490

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : KAVI HEMRAJ HANS राजनीति में डिगरी की जरुरत नही ह...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : KAVI HEMRAJ HANS राजनीति में डिगरी की जरुरत नही ह...: राजनीति में डिगरी की जरुरत नही होती।  जंगल में सिगड़ी की जरुरत नही होती।। हेमराज हंस  9575287490

bagheli boli जब हवन कुण्ड मागय लगा पण्डित का बलिदान।


जब हवन कुण्ड मागय लगा पण्डित का बलिदान। 
पूजा पत्री छोड़ के पेल भगें जजमान। । 
हेमराज हंस --9575287490 

शुक्रवार, 26 जून 2015

bagheli boliभरे आषाढ़ मा बरदा हेराय गा।

बघेली बोली 

भरे आषाढ़ मा बरदा हेराय गा। 
जइसा रीढ़ हीन का गरदा हेराय गा। । 
अब 'चाल चेहरा चरित्र 'कै चर्चा नही चलै 
घिनहा पानी निकरैं का नरदा हेराय गा। । 
हेमराज हंस     >  9575287490 

बुधवार, 24 जून 2015


 मत कहो आकाश में कुहरा घना है।
यह किसी की व्यक्ति गत आलोचना है

संस्कार कै हाट लगी है पै  ही महग बाजार। 
इहव सदी माही गरीब के पढ़य कै  नहि  आय तार 

शुक्रवार, 19 जून 2015

KAVI HEMRAJ HANS राजनीति में डिगरी की जरुरत नही होती।


राजनीति में डिगरी की जरुरत नही होती। 
जंगल में सिगड़ी की जरुरत नही होती।।
हेमराज हंस  9575287490 

BAGHELI KAVITA विद्या के मंदिर मा बरती हई लछमी की बाती। कइसन देस या पढ़ी लिखी सरस्वतिव सकुचातीं। । हेमराज हंस

बघेली कविता 

विद्या के मंदिर मा बरती हई लछमी की बाती। 
कइसन देस या पढ़ी लिखी सरस्वतिव सकुचातीं। । 
हेमराज हंस 

सोमवार, 8 जून 2015



बड़ी भयंकर गरमी है। 
ये कैसी बे शरमी हैं। ।
कागा से बोली  गौरैया 
तू तो बड़ा सत्कर्मी है। । 
हेमराज हंस 




BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli अम्मलक जना थै उनखे चाल से।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli अम्मलक जना थै उनखे चाल से।: मुक्तक  अम्मलक जना थै उनखे चाल से।  हरिश्चंद  समझौता है नटवर लाल से। ।  लबालब भरा है ता आज उई टर्रा थें  सब गूलर भाग जई है सूख ताल...

bagheli अम्मलक जना थै उनखे चाल से।

मुक्तक 

अम्मलक जना थै उनखे चाल से। 
हरिश्चंद  समझौता है नटवर लाल से। । 
लबालब भरा है ता आज उई टर्रा थें 
सब गूलर भाग जई है सूख ताल से। । 
हेमराज हंस --9575287490 

शुक्रवार, 5 जून 2015

baghejiउई शबरी के बेर का अमचुर बना के बेंचा थें।

बघेली गजल 

उई शबरी के बेर का अमचुर बना के बेंचा थें। 
सरासरीहन लबरी का फुर बना के बेंचा थें। । 
जे जीते के बाद हार गें जनता के विश्वास से 
अइसा कायर का बहादुर बना के बेंचा थें। । 
हेमराज हंस 9575287490   

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita वमै डबरा योजना का पड़बा देखाई थे। ।...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita वमै डबरा योजना का पड़बा देखाई थे। ।...: मुक्तक  आबा ! गाँव मा शौचालय का गड़बा देखाइ थे।  वमै डबरा योजना का पड़बा  देखाई थे। ।  ब्यवस्था बताऊ थी वजट कै कमी ही  हम छूँछ सरकार...

hemrajhans------उनकी गुण्डागर्दी देखो।

मुक्तक 

यार उनकी गुण्डागर्दी देखो। 
ऊपर से हम दर्दी देखो। । 
घाव से मजाक करती है 
पीड़ा नाशक हल्दी देखो। । 
हेमराज हंस --9575287490 

सोमवार, 1 जून 2015

bagheli kavita वमै डबरा योजना का पड़बा देखाई थे। ।

मुक्तक 

आबा ! गाँव मा शौचालय का गड़बा देखाइ थे। 
वमै डबरा योजना का पड़बा  देखाई थे। । 
ब्यवस्था बताऊ थी वजट कै कमी ही 
हम छूँछ सरकारी भड़बा देखाई थे। । 
हेमराज हंस --9575287490 

bagheli kavita जनता जब पामै लगी जनधन बीमा लाभ।

कुण्डलिया 

जनता जब पामै  लगी जनधन बीमा लाभ। 
मोदी जी के दांव से बंद विपक्षी चाभ। । 
हेमराज हंस  

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।

        *लोकगीत  * दार महँगी  है  खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी  ।    भाव     सुनत  मा    लागय   ठुसका।। दार महँगी  ।।     किधनव  बनाउब  पान...