बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
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शुक्रवार, 16 जून 2023
शनिवार, 10 जून 2023
उमिर भै अस्सी पार तउ, रोगी हमैं बिचार।
मनो रोग के बैद से, कर बाई उपचार ।
उमिर भै अस्सी पार तउ, रोगी हमैं बिचार।।
कर बाई उपचार, दृष्टि मा दोख है दददा।
चीकन चांदन राह, लगै अपना का खडडा।।
बलिहारी या समय का कइसा हबय कुजोग।
जे हमार सम्माननीय ,ग्रस्त हें मन के रोग। ।
बुधवार, 7 जून 2023
बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : जाति बाद मा बंद
बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : जाति बाद मा बंद: राष्ट्रबाद से सुरू भा ,जाति बाद मा बंद। केत्ते सुर बदलय परें, गामय का एक छंद।। हेमराज हंस
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पहिले जब खड़े होकर लघु शंका करना निषिद्ध माना जाता था। तब की बात है।एक बालक खड़े होकर लघुशंका कर रहा था। गांव के एक बुजुर्ग ने देखा तो उसे...
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बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।।
जेखे आंखर बने हें, जनता के स्वर दूत। बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।। सादर ही शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...