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रविवार, 28 जून 2015

मौन के पीड़ा की अनुभूति देखिये।


मौन के पीड़ा की अनुभूति देखिये। 
सदाचार का भ्रष्टो से  सहानुभूति देखिये। । 
विश्वास आहत हो रहा है लोक तंत्र का 
पदों औ क़दों की प्रतिभूति देखिये। । 
हेमराज हंस 

श्री शिवशंकर सरस जी

  श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास।  उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।।  सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर।  रिमही मा हें सरस जी , जस पा...