आदरनीय अमोल जी, लेब बधाई खूब।
होय अबरदा सौ बरिस, लगय आप कै ऊब।।
बाघेली साहित्य के, अपना हन आदर्श।
रिमही आकरन ब्याकरन गरु बिचार बिमर्श।।
छाँह देय का बरा अस, निर्मल हिदय उदार।
आसा ही पाउत रहब, अपना केर दुलार। ।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
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बुधवार, 5 जून 2024
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