बघेली छन्द
उई कहाथें देस से गरीबी हम भगाय देब ,
गरीबी या देस कै लुगाई आय नेता जी।
गरीबी भगाय के का खुदै तुम पेटागन मरिहै ,
व तोहई पालै निता बाप माई आय नेता जी। ।
गरीबी के पेंड़ का मँहगाई से तुम सींचे रहा ,
तोहरे निता कल्प वृक्ष नाई आय नेता जी। ।
भाषण के अबीर से अस्वासन के कबीर से ,
तोहरे बोलिआय का भउजाई आय नेता जी। ।
हेमराज त्रिपाठी
9575287490
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