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बुधवार, 30 दिसंबर 2015

द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के । ।

दरबारन मा चर्चा ही कम्पूटर इंटरनेट के।  
खरिहनन मा मरै किसनमा फन्दा गरे लपेट के।  ।  
प्रेमचन्द के होरी का उइं उँगरी धरे बताउथें 
द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के ।  ।  
हेमराज हंस   

सोमवार, 28 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । हेमराज हँस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । हेमराज हँस: बघेली मुक्तक  उइ कुरसी का खेल  अक्कड़ बक्कड समझा थें।  जनता का निगबर फक्कड़ समझा थें। ।  चले आउ थें बेशर्मी से बोतल लये बस्ती मा  हमरे लो...

हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । हेमराज हँस

बघेली मुक्तक 
उइ कुरसी का खेल  अक्कड़ बक्कड समझा थें। 
जनता का निगबर फक्कड़ समझा थें। । 
चले आउ थें बेशर्मी से बोतल लये बस्ती मा 
हमरे लोकतंत्र का पियक्कड़ समझा थें। । 
हेमराज हँस 

शनिवार, 26 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। ।: बघेली मुक्तक  देस टकटकी लगाये है काले धन के आस कै।  अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै।  ।  घुटकी भर खाय के दिल्ली डकारा थी  ...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।: bagheli muktak  भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।  एहिन से  ओही सइघ नही अउना पउना है। ।  पड़बा है काहे दूबर य बात दिल्ली जाना थी  दु...

अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। ।

बघेली मुक्तक 
देस टकटकी लगाये है काले धन के आस कै। 
अब 'बाबा जी 'बात करा थें चमनप्रास कै। । 
घुटकी भर खाय के दिल्ली डकारा थी 
देस का बताउथी महातिम उपास कै। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

bagheli sahitya भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।

bagheli muktak 

भले जीभ दार है पै मकुना मउना है। 
एहिन से  ओही सइघ नही अउना पउना है।। 
पड़बा है काहे दूबर य बात दिल्ली जाना थी 
दुधारु लोकतंत्र के पडउना का थमाउना है। । 
हेमराज हँस       

सोमवार, 21 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA गुण्डा घर अस बखरी द्याखा। ।

समय कै घूमत चकरी द्याखा।
गुंडन कै पैपखरी द्याखा। । 
पीपर अस आक्सीजन देतीं 
गुण्डा घर अस बखरी द्याखा। । 
हेमराज हंस 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय...: गरीबन का कउनव दल नही होय।  ओखे समिस्या का हल नही होय। ।  वा चाह ज्याखर जिन्दावाद ब्वालय  पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। ।  हेमराज ह...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय...: गरीबन का कउनव दल नही होय।  ओखे समिस्या का हल नही होय। ।  वा चाह ज्याखर जिन्दावाद ब्वालय  पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। ।  हेमराज ह...

bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। ।

गरीबन का कउनव दल नही होय। 
ओखे समिस्या का हल नही होय। । 
वा चाह ज्याखर जिन्दावाद ब्वालय 
पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। । 
हेमराज हंस

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHEKI MUKTAK

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHEKI MUKTAK: टी. वी मा सभ्भदारन का नमूना देख ल्या।  जुज्बी नही दोउ जूना देख ल्या।   ।  जउन अड़सठ साल से लगाबा जा रहा है  उनखे बेलहरा का चूना देख ल्या।...

BAGHEKI MUKTAK

टी. वी मा सभ्भदारन का नमूना देख ल्या। 
जुज्बी नही दोउ जूना देख ल्या।  । 
जउन अड़सठ साल से लगाबा जा रहा है 
उनखे बेलहरा का चूना देख ल्या। । 
हेमराज हंस 

शनिवार, 5 दिसंबर 2015

देत्या दोख अहीर का। .. HEMRAJ HANS

अबहूँ नही नसान कुछू कइ ल्या पता कबीर का। 
वध घर का लाइसेन्स बनाउत्या देत्या दोख अहीर का। .. 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हे !महा दोगला हे अकही !!अकहापन कै पूंजी तुम।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हे !महा दोगला हे अकही !!अकहापन कै पूंजी तुम।: हम करी चेरउरी चुगल खोर तुम सुखी रहा य देस मा।   तुम बइठे नक्कस काटा औ सब जन रहैं कलेष मा। ।  हे अकरमन्न हे कामचोर सब काँपैं तोहरे दांव ...

हे !महा दोगला हे अकही !!अकहापन कै पूंजी तुम।

हम करी चेरउरी चुगल खोर तुम सुखी रहा य देस मा। 
 तुम बइठे नक्कस काटा औ सब जन रहैं कलेष मा। । 
हे अकरमन्न हे कामचोर सब काँपैं तोहरे दांव से। 
कड़ी मशक्कत के कर्ता तक भागै तोहरे नांव से। । 
तुमसे सब है कारबार जस धरा धरी है शेष मा। 

हे चापलूस चउगिर्दा हेन तोहरै तोहार ता धाक हिबै। 
तोहरेन चमचागीरी से हमरे नेतन कै नाक हिबै। । 
तुम कलजुग के देउता आहू अब माहिल के भेष मा। 

हे !महा दोगला हे अकही !!अकहापन कै पूंजी तुम। 
बड़ा मजा पउत्या है जब आने कै करा नमूजी तुम। । 
गद्गद होय तोहार आत्मा जब कोउ परै कलेस मा। 

तुम  'मनगवां के कुकूर कस ' चारिव कइती छुछुआत फिरा। 
मुँह देखी मा म्याऊ म्याऊ औ पीठ पीछ गुर्रात फिरा। । 
सगले हार तोहार असर है देस हो य परदेस मा। 

केत्तव होय मिठास चाह छिन भर मा माहुर घोर द्या। 
तुम भाई हितुआ नात परोसी का आपुस मा फोर द्या। । 
तोहरे भीरुहाये मा पति -पत्नी तक चढ़ गें केस   मा। 

हे मंथरा के भाई तुम जय हो हे नारद के नाती। 
नाइ दुआ करत बागा बे डाक टिकस कै तुम पाती। । 
हे राम राज के 'धोबी 'तुम घुन लाग्या अवध नरेश मा
हम करी चेराउरी चुगल खोर तुम सुखी रहा य देस मा। । 
 हेमराज हंस

रविवार, 29 नवंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।: हम जानी  थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।  आँधियार सुरिज कै सराध करय आये हें। । एक बेर ठगा गा विंध्य ता निहुरा है झुकेही मा  उइ पुनि के &#3...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।: हम जानी  थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।  आँधियार सुरिज कै सराध करय आये हें। । एक बेर ठगा गा विंध्य ता निहुरा है झुकेही मा  उइ पुनि के &#3...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।: उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।  भूखी गंडाही कै अकरास नापा थें। । पखना जमे का घमण्ड देख ल्या  ''सम्पाती ''सुरिज का अक...

उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें।

उइ देस के गरीबी का व्यास नापा थें। 
भूखी गंडाही कै अकरास नापा थें।
पखना जमे का घमण्ड देख ल्या 
''सम्पाती ''सुरिज का अक्कास नापा थें। । 
हेमराज हंस ====  

हम जानी थे उइ भण्डा सराध करय आये हें।

हम जानी  थे उइ भण्डा सराध करय आये हें। 
आँधियार सुरिज कै सराध करय आये हें।
एक बेर ठगा गा विंध्य ता निहुरा है झुकेही मा 
उइ पुनि के ''अगस्त''अस अपराध करय आये हें। 
हेमराज हंस ===9575287490 

सोमवार, 23 नवंबर 2015

bagheli poem गरीबन के निता सब मनसेरुआ हें।

b

गरीबन के निता सब मनसेरुआ हें। 
बिचारे के खटिआ मा तीन ठे पेरूआ हें। । 
चाह रजन्सी रही होय य की लोकतंत्र 
मंहगाई गुंडई पकरिन ओकर चेरुआ हें। । 
 वा सदमा से भनेजिन बिहोस परी ही 
मामा कहा थें संच मा भइने बछेरुआ हें। । 
जब से महँग भै दार ता लपटा खई थे
उनखे  निता चुकंदर हमहीं रेरुआ हें । । 
उनखे सुची रास मा गउर धरी ही 
सत्तर साल से हंस के गोहूँ मा गेरुआ हें। । 
हेमराज हंस  

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : दादू भांगर भइला होइ गा।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : दादू भांगर भइला होइ गा।:     दादू भांगर भइला होइ गा।  उज्जर तक मटमइला होइ गा।                                  हम जेही बज्जुर का मान्यन  फाट  के चइला  चइला गा।...

शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

दादू भांगर भइला होइ गा।

   दादू भांगर भइला होइ गा। 

उज्जर तक मटमइला होइ गा। 
                               
हम जेही बज्जुर का मान्यन 
फाट  के चइला चइला गा। । 
हेमराज हंस      

बुधवार, 18 नवंबर 2015

धम्मन फट गा हरमुनिया का।

धम्मन फट गा हरमुनिया का। 
ह्यरा भाई कहूँ गुनिया का। । 
जे भाई चारा के सरगम से 
रंजे रह्य पूरी दुनिया का। । 
हेमराज हंस

मंगलवार, 17 नवंबर 2015

पुलिस जाना थी जेबकतरा आय।

पुलिस जाना थी जेबकतरा आय। 
हमरे समाज का खतरा आय। । 
तउ सलामी ठोक रही ही 
वा  राजनीत का रकरा आय। । 
हेमराज हंस 

रविवार, 15 नवंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बड़े जबर संगठन हें

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बड़े जबर संगठन हें: बड़े जबर संगठन हें जात बाद के हेत।  तउ बिटिया के बाप का बिकिगा सगला खेत। ।  हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।: जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।  सुदिन देख ह्यराय चलें जब बिटिया का काज। ।  जब बिटिया का काज जबर है दइजा  नाहर।  सुन दहेज़ का भाव थूंक...

शनिवार, 14 नवंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।: जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।  सुदिन देख ह्यराय चलें जब बिटिया का काज। ।  जब बिटिया का काज जबर है दइजा  नाहर।  सुन दहेज़ का भाव थूंक...

जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज।

जातिहाई का जानिगें उइ अटकर अंदाज। 
सुदिन देख ह्यराय चलें जब बिटिया का काज। । 
जब बिटिया का काज जबर है दइजा  नाहर। 
सुन दहेज़ का भाव थूंक न निकरै बाहर। । 
बिन दइजा  के बड़ मंशी का को अपनाई। 
हंस कहिन बस वोट के खातिर ही जातिहाई।। 
हेमराज हंस  

बड़े जबर संगठन हें

बड़े जबर संगठन हें जात बाद के हेत। 
तउ बिटिया के बाप का बिकिगा सगला खेत। । 
हेमराज हंस 

मंगलवार, 3 नवंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। ।: हम सब उनखर छक्का पंजा जानी थे।  अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। ।  जब उनखे मूड़े बीत ता हम बिदुरात रहयन  अब हमरे घुटकी कसी शिकंजा जानी थे...

अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। ।

हम सब उनखर छक्का पंजा जानी थे। 
अब को माजी चाह का गंजा जानी थे। । 
जब उनखे मूड़े बीत ता हम बिदुरात रहयन 
अब हमरे घुटकी कसी शिकंजा जानी थे। । 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब कुरसी मारैं लागै लात

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब कुरसी मारैं लागै लात: उइ हमरे जिव के घ्यामन हें।  औ ओइन बड़े दयामन  हें। ।  जब कुरसी मारैं लागै लात  जाना सत्ता मा रावन हें। ।  हेमराज हंस

जब कुरसी मारैं लागै लात

उइ हमरे जिव के घ्यामन हें। 
औ ओइन बड़े दयामन  हें। । 
जब कुरसी मारैं लागै लात 
जाना सत्ता मा रावन हें। । 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : शनीचर चढ़ा ता कुसायित गेर ले थी।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : शनीचर चढ़ा ता कुसायित गेर ले थी।: शनीचर चढ़ा ता कुसायित गेर ले थी।  जनता से जुड़े मा ''शबरी''बेर दे थी। ।  चाहे करयाजा धइ द्या निकार के  रय्यत रामराजव मा धो...

शनीचर चढ़ा ता कुसायित गेर ले थी।

शनीचर चढ़ा ता कुसायित गेर ले थी। 
जनता से जुड़े मा ''शबरी''बेर दे थी। । 
चाहे करयाजा धइ द्या निकार के 
रय्यत रामराजव मा धोबी हेर ले थी। । 
हेमराज हंस --- 

शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।: रैली मा गरीब थैली मा नेता। कब तक मिली खाद मा रेता। । उनसे करा नमस्ते ता मूडव नही हलै चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''।...

चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।

रैली मा गरीब थैली मा नेता।
कब तक मिली खाद मा रेता। ।
उनसे करा नमस्ते ता मूडव नही हलै
चुनाव मा ''मै सेवक परिवार समेता ''। ।
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।: वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।  चाहे नेहरू ,भीम ,हों य सरदार पटेल। ।  हेमराज हंस

वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल।

वे महापुरुष से खेलते जातिवाद का खेल। 
चाहे नेहरू ,भीम ,हों य सरदार पटेल। । 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।: महापुरुष हैं देश में, राष्ट्रवाद के गर्व।  उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।  हेमराज हंस

उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। ।

महापुरुष हैं देश में, राष्ट्रवाद के गर्व। 
उनके नाम होने लगा जातिवाद का पर्व। । 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।: जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।  लेते रहे ईनाम वे, रही सिसकती पीर। ।  हेमराज हंस

जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर।

जब 'लज्जा 'की लेखनी, की खींची गई चीर। 
लेते रहे ईनाम वे, रही सिसकती पीर। । 
हेमराज हंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।: जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन। उनसे जाकर पूछिये है पाखण्डी कौन। । हेमराज हंस

जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।

जो कलबुगी पे मुखर हैं औ रूश्दी पर मौन।
उनसे जाकर पूछिये है पाखण्डी कौन। ।
हेमराज हंस

रविवार, 25 अक्तूबर 2015

जेखे मुँह मा मुस्का लगा है।

जेखे मुँह मा मुस्का लगा है। 
वोही धौं काहे ठुसका लगा है। । 
हेमराज हंस

तलवार भांजत मा पायल मजामै आ गया। ।

विपत के घरी मा तुमहूं भजामैं आ गया। 
तलवार भांजत मा पायल मजामै आ गया। । 
हेमराज हंस

हमने गद्दारों की ऐसी नसल देखी है।

हमने गद्दारों की ऐसी नसल देखी  है। 
जो खेत खा जाय ऐसी फसल देखी है। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वो मजदूरों का ख़ून पी रहे है

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वो मजदूरों का ख़ून पी रहे है: हम ऐसे दौर में जी रहे हैं।  उल्लू हंस के ओंठ सी रहे है। ।  आप पसीने की बात करते हैं  वो मजदूरों का ख़ून पी रहे है  हेमराज हंस

वो मजदूरों का ख़ून पी रहे है

हम ऐसे दौर में जी रहे हैं। 
उल्लू हंस के ओंठ सी रहे है। । 
आप पसीने की बात करते हैं 
वो मजदूरों का ख़ून पी रहे है 
हेमराज हंस

बुधवार, 21 अक्तूबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जहां शारदा सी माँ अलाउद्दीन सा बेटा है। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जहां शारदा सी माँ अलाउद्दीन सा बेटा है। ।: जिसने सर्व धर्म सदभाव को समेटा है।  जिसने लघु भारत के रूप को लपेटा है। ।  उस मैहर की पुण्य भूमि को देव तक नमन करते  जहां शारदा सी मा...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मैहर अंचल के शहीद एवं स्वतंत्रता सेनानी संकलन -...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मैहर अंचल के शहीद एवं स्वतंत्रता सेनानी संकलन -...: मैहर अंचल के शहीद एवं स्वतंत्रता सेनानी    शहीद सम्पत तेली  मोती लाल रामसेवक मौर्य  माता प्रसाद  कालका प्रसाद हलवाई  किशोर बाबा दी...

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2015

मैहर अंचल के शहीद एवं स्वतंत्रता सेनानी संकलन -हेमराज हंस

मैहर अंचल के शहीद एवं स्वतंत्रता सेनानी 

  शहीद सम्पत तेली 

मोती लाल रामसेवक मौर्य 

माता प्रसाद  कालका प्रसाद हलवाई 
किशोर बाबा दीन नाई 
गंगा प्रसाद सुदर्शन प्रसाद 
अभय कुमार कल्याण दास जैन 
रामगुलाम सूरज दीन चौरसिया 
रामसिया शरण रामाधीन चौरसिया 
पंडित बृजलाल  रामभद्र 
सुखदेव प्रसाद रामप्रसाद अग्रवाल 
पंडित जानकी प्रसाद रामविशाल 
रामगुलाम सूरज दीन गुप्ता 
पंडित रामाधार रामबल्लभ 
गोकुलदास हरीलाल गुप्ता 
पंडित जमुना प्रसाद उर्फ़ टुनटुन महराज 
ठाकुर  इंद्रजीत   सिंह भैरव सिंह 
नर्बदा प्रसाद पटेल 
गोकुल प्रसाद अटल राम अग्रवाल 
पंडित भारत प्रसाद जवाहर लाल 
हीरालाल रामसहाय सोनी 
चंडी दीन  बिन्दे पटेल 
पंडित हरिकेश 
कंधईलाल रामचरण गुप्ता 
पंडित अजोध्या प्रसाद ब्रजनाथ 
राधेलाल बद्री प्रसाद खण्डेलवाल 
कल्याणदास लखपत राय जैन 
परमेश्वर दयाल रामकृष्ण गुप्ता
सुदर्शन चौरसिया 
भैय्यालाल 
जय कुमार हजारी लाल गुप्ता 
रामलाल बंसी लाल बानी 
मंजा समालिया  मेहतर 
चुनबुद्द स्वामी प्रसाद दर्जी 
पंडित बोडे बल्ली  गौतम 
पंडित बाला प्रसाद सुखविंद्र सुरेहा 
रघुनन्दन प्रसाद श्रीवास्तव 
त्रिजुगीनारायण शिवबक्स 
घप्पा दरबान 
पंडित भगवत गजी चौबे 
बाला रामदीन 
सरजू बजरंग पटेल 
*************************
संकलन -हेमराज हंस 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जहां शारदा सी माँ अलाउद्दीन सा बेटा है। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जहां शारदा सी माँ अलाउद्दीन सा बेटा है। ।: जिसने सर्व धर्म सदभाव को समेटा है।  जिसने लघु भारत के रूप को लपेटा है। ।  उस मैहर की पुण्य भूमि को देव तक नमन करते  जहां शारदा सी मा...

जहां शारदा सी माँ अलाउद्दीन सा बेटा है। ।

जिसने सर्व धर्म सदभाव को समेटा है। 

जिसने लघु भारत के रूप को लपेटा है। । 

उस मैहर की पुण्य भूमि को देव तक नमन करते 

जहां शारदा सी माँ अलाउद्दीन सा बेटा है। । 

हेमराज हंस -मैहर

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : hemraj hans शीलवान भी यहां निःशील हो गये।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : hemraj hans शीलवान भी यहां निःशील हो गये।: निःशील हो गये  शीलवान भी यहां निःशील हो गये।  बंधु कंज भी यहां करील हो गये। ।  माना था जिनको स्त्रोत हमने मीठे नीर का  वे भी खारे ...

hemraj hans शीलवान भी यहां निःशील हो गये।

निःशील हो गये 

शीलवान भी यहां निःशील हो गये। 
बंधु कंज भी यहां करील हो गये। । 
माना था जिनको स्त्रोत हमने मीठे नीर का 
वे भी खारे जल की सांभर झील हो गये। । 
जो पाठ पढ़ाते रहे स्वदेश प्रेम का 
वे विदेशी पोषकों के डील हो गये। । 
ज्ञान  नही जिनको थाह और धार की 
वे ब्यवस्था सेतु के नल -नील हो गये। । 
हमने जिन्हे जाना था मनस्वनी का हंस 
मित्र देखिये तो वही चील हो गये।।
हेमराज हंस ---मैहर 
 

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।: शौचालय बनवाबा  शौचालय बनवाबा भाई  शौचालय बनवाबा।  अपने घर के बड़मंशी का बहिरे न बगवाबा। ।                                  हमरी  ब...

शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी म...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी म...: मातु शारदे  हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी मनंगा का।  मोरे देस कै शान बढ़ै औ बाढ़ै मान तिरंगा का। ।  दिन दिन दूना होय देस मा ...

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।: शौचालय बनवाबा  शौचालय बनवाबा घर मा शौचालय बनवाबा।  अपने घर के बड़मंशी का बहिरे न बगवाबा। ।                                  हमरी  ...

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी म...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मातु शारदे हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी म...: मातु शारदे  हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी मनंगा का।  मोरे देस कै शान बढ़ै औ बाढ़ै मान तिरंगा का। ।  दिन दिन दूना होय देस मा ...

मातु शारदे 

हे मातु शारदे सम्बल दे तै निर्बल छिनी मनंगा का। 
मोरे देस कै शान बढ़ै औ बाढ़ै मान तिरंगा का। । 

दिन दिन दूना होय देस मा लोक तंत्र मजबूत। 
घर घर बिटिया विदुषी हो औ लड़िका होय सपूत। । 
विद्वानन से सभा सजै औ पतन होय हुरदंगा का। 

'वसुधैव कुटुम्बम 'केर भावना बसी रहय सबके मन मा। 
औ परबस्ती निता ललायित रहै कामना जन जन मा। । 
देस प्रेम कै जोत जुगै  कहूँ मिलै ठउर न दंगा का। 

खेलै पढ़ै बढ़ै विद्यार्थी रोजी मिलै जवानन का। 
रोटी औ सम्मान मिलै घर घर बूढ़ सयानन का। । 
'रामेश्वरम मा चढ़त रहै जल गंगोतरी के गंगा का। 
हेमराज हंस -----9575287490  


शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : 'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : 'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज...: गाहिंज करै गरीब कै करय दीन का ख्याल।  'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। ।  हेमराज हंस

'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज हंस

गाहिंज करै गरीब कै करय दीन का ख्याल। 
'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । 
हेमराज हंस

शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।:              बिटिया  ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी  स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे।  टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। ।  खेलै चन्द...

हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।

             बिटिया 

ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी  स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे। 
टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। । 

खेलै चन्दा, लगड़ी, गिप्पी, गोटी, पुत्ता -पुत्ती  । 
छीन भर मा  मनुहाय जाय औ छिन भर माही कुट्टी। । 
बिट्टी लल्ला का खिसबाबै ''लोल बटाइया रे''। । 

ठउर लगाबै अउजै परसै करै चार ठे त्वारा। 
कहू चढ़ी बब्बा के कइयां कहु अम्मा के क्वारा। । 
जब रिसाय ता पापा दाकै पकड़ झोठइया रे। 

बिन बिटिया के अंगना अनमन घर बे सुर कै बंसी। 
बिटिया दुइ दुइ कुल कै होतीं मरजादा बड़मंसी। । 
हमरे टोरिअन काही  खाये जा थै दइया रे। 

भले नही भइ भये मा स्वाहर पै न माना अभारु। 
लड़िका से ही ज्यादा बिटिया ममता भरी मयारू। । 
पढ़ी लिखी ता बन जई टोरिया खुदै सहय्याँ रे। 

कन्यन कै होइ रही ही हत्या बिगड़ि  रहा अनुपात। 
यहै पतन जो रही 'हंस ' ता कइसा सजी बरात। । 
मुरही कोख से टेर लगाबै बचा ले मइया रे। । 
हेमराज हंस --9575287490 
(आकाशवाणी रीवा से प्रसारित )         

रविवार, 6 सितंबर 2015

बघेली नही ता अब वा ओरहन देई पं दीनदयाल से। ।

बघेली मुक्तक 

आबा भाई आँसू पोंछी पचके पचके गाल से।  
नही ता अब वा ओरहन देई पं दीनदयाल से। ।
टूट बडेरी अस जिंदगानी पाछू बइठ समाज के 
अजुअव ओढ़काबा है  टटबा जेखे सत्तर साल से। । 
हेमराज हंस   

BAGHELI वा लोकतंत्र का मंदिर औ विश्वास आय।

बघेली मुक्तक 

वा लोकतंत्र का मंदिर औ विश्वास आय। 
समाज का चित्र औ वहै इतिहास आय। । 
ओका दूध से भरा चाह दारू से 
आपन सदन त एक गिलास आय। । 
हेमराज हंस 

सोमवार, 24 अगस्त 2015

नाच रही ही दुलदुल घोड़ी

नाच रही ही दुलदुल घोड़ी 

नाच रही ही दुल दुल घोड़ी। 
मँहगाई गुंडई कै जोड़ी। । 
अच्छे दिन केत्ती दूरी हें 
पूछ रही पापा से मोड़ी। । 
हेमराज हंस  

रविवार, 16 अगस्त 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavitaआबा मुखिया जी स्वागत है

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavitaआबा मुखिया जी स्वागत है: आबा  मुखिया जी स्वागत है  आबा मुखिया जी स्वागत है।   शारद मइया कै धर्म भूमि।  य 'बाबा 'जी कै कर्म भूमि। ।  भुइ गोलामठ औढरद...

bagheli kavitaआबा मुखिया जी स्वागत है

आबा  मुखिया जी स्वागत है 

आबा मुखिया जी स्वागत है। 
 शारद मइया कै धर्म भूमि। 
य 'बाबा 'जी कै कर्म भूमि। । 
भुइ गोलामठ औढरदानी कै  । 
सम्पत तेली बलिदानी कै। । 
मुड़िया बाबा के धूनी मा 
बंदन अभिनन्दन शत शत है। । 
आबा मुखिया जी स्वागत है। । 
हेन ही मिल्लस कै परिपाटी। 
पुरवा ,ओइला ,गणेश घाटी। । 
औ रामपुर के राधा किशना। 
दर्शन से मिटै धृणा तृष्णा। । 
बड़ा अखाडा मा मनस्वनी 
कै पयस्वनी निकरत है। । 
आबा ---------------------
या विंध्य द्धार लेशे है कलश। 
पानी लये कलकल बहै टमस। । 
जब से ठगि के गें हें कुम्भज। 
ता विंध्य का निहुरा है गुम्मच  । । 
गुरू अगस्त के निता झुका है 
या अटल  झुकेही  का ब्रत है। । 
आबा मुखिया ----------------

हेमराज हंस -9575287490 













शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

घर से निकरा पहिर के बिन कालर कै सल्ट। ।

बिन कालर कै सल्ट 

पता नही कउने जघा को कर दे इंसल्ट 
घर से निकरा पहिर के बिन कालर कै सल्ट। । 
हेमराज हंस   9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --957528...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --957528...: मुक्तक  दादू उइ कुहरा का धुँआ बताउथें।  हुलकी का मयारू फुआ बताउथें। ।  जब हप्ता बसूली मा झंझी नही मिली  ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें...

ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --9575287490

मुक्तक 

दादू उइ कुहरा का धुँआ बताउथें। 
हुलकी का मयारू फुआ बताउथें। । 
जब हप्ता बसूली मा झंझी नही मिली 
ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । 
हेमराज हंस --9575287490 

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।: बघेली गजल  ठोंका तुहू सलामी भाई।  भले देखा थी खामी भाई। ।  केत्तव मूसर जबर होय पै  वमै लगा थी सामी भाई। ।  सत्तर साल के लोक तंत्...

पै न कह्या हरामी भाई। ।

बघेली गजल 

ठोंका तुहू सलामी भाई। 
भले देखा थी खामी भाई। । 
केत्तव मूसर जबर होय पै 
वमै लगा थी सामी भाई। । 
सत्तर साल के लोक तंत्र का 
ग्यारै लाग बेरामी भाई। । 
एक कइ पचके हें गलुआ 
औ एक कइ ललामी भाई। । 
पता नही धौ घुसे हें केत्ते 
बड़ी जबर ही वामी भाई। । 
केखर केखर मुँह सी देहा 
सबतर ही बदलामी भाई। । 
भले खा थें उई हराम का 
पै न कह्या हरामी भाई। । 
'हंस 'करय अनरीत अम्मलक 
भरा हुंकारी हामी भाई। । 

हेमराज हंस --9575287490 

बुधवार, 22 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज...: BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र क... : दोहा  बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र।  गं...

चपके रहा जोंक अस।


चपके रहा जोंक अस। 
कायर डरपोक अस। । 
कलिंग के शोक मा 
लगत्या है अशोक अस। । 
हेमराज हंस 

मंगलवार, 21 जुलाई 2015

bagheli kavitaहमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा।

मुक्तक 

हमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा। 
जनता का नफरत का तमाचा न देखाबा। । 
य देस देखे बइठ है महाभारत के युयुत्स का 
अपने वफादारी का साँचा न देखबा। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

मंगलवार, 14 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र क...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र क...: दोहा  बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र।  गंधइलन  के कान मा खोंसा फूहा इत्र  । ।  हेमराज हंस 9575287490  

बघेली कवि हेमराज हंस -बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र।


दोहा 

बड़ा भयानक लगि रहा लोकतंत्र का चित्र। 
गंधइलन  के कान मा खोंसा फूहा इत्र  । । 
हेमराज हंस 9575287490   



रविवार, 5 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : hemraj hans वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते है।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : hemraj hans वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते है।: मुक्तक  वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते  है।  कला देखिये  फ़टे छाते  में ऊन सीते हैं.।। समाज में उनका हीं दबदबा है  जो वैभव से भरे हैं...

hemraj hans वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते है।

मुक्तक 

वे बड़े समाजसेवी हैं खून पीते  है। 
कला देखिये  फ़टे छाते  में ऊन सीते हैं.।।
समाज में उनका हीं दबदबा है 
जो वैभव से भरे हैं संवेदना से रीते हैं। । 
हेमराज हंस --9575287490  

गुरुवार, 2 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHELI KAVITA दवाई के दुकान मा मिटटी का तेल। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : BAGHELI KAVITA दवाई के दुकान मा मिटटी का तेल। ।: मुक्तक  --------------------- वाह रे राजनीत का खेल।  दवाई के दुकान मा मिटटी का तेल। ।  सदाचार मा गारी गुझुआ  भ्रष्टाचार मा सरस...

BAGHELI KAVITA दवाई के दुकान मा मिटटी का तेल। ।

मुक्तक 


---------------------
वाह रे राजनीत का खेल। 
दवाई के दुकान मा मिटटी का तेल। । 
सदाचार मा गारी गुझुआ 
भ्रष्टाचार मा सरस मेल। । 
हेमराज हंस -9575287490 

बुधवार, 1 जुलाई 2015

मुक्तक 

चन्दन गंधा थै ता होरसा का कउन दोख है। 
नाली भठी ही ता बरसा का कउन दोख है। । 
जब सहस्त्राबाहु अत्याचार कई रहा है 
तब परसराम के परसा का कउन दोख है। । 
हेमराज हंस -9572587490 

सोमवार, 29 जून 2015

तुलसी के बगिया मा नकटी कहां से आय गै।

मुक्तक 

तुलसी के बगिया मा नकटी कहां से आय गै। 
यतना पचामै कै शक्ती कहाँ से आय गै  । । 
गोकरन के सभा मा धुंधकारी कै धाक ही 
सत्ता के व्याकरण मा विभक्ति कहाँ से आय गै। । 
हेमराज हंस ----9575287490 

नकटी--एक तरह की झाड़ी 

रविवार, 28 जून 2015

तोहरे प्रेम के चिन्हारी अस।

तोहरे प्रेम के चिन्हारी अस। 


गउद औ पइनारी अस। । 
सरा थी आंसू मा 
जीवन के अमारी अस। । 
हेमराज हंस 

मौन के पीड़ा की अनुभूति देखिये।


मौन के पीड़ा की अनुभूति देखिये। 
सदाचार का भ्रष्टो से  सहानुभूति देखिये। । 
विश्वास आहत हो रहा है लोक तंत्र का 
पदों औ क़दों की प्रतिभूति देखिये। । 
हेमराज हंस 

hemraj hans वे दूध के धुले हैं।


वे दूध के धुले हैं।
रहस्य अभी खुले हैं। ।
ये स्थाई समस्या के
कुछ बुल बुले हैं। । ------हेमराजहंस

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli boliभरे आषाढ़ मा बरदा हेराय गा।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli boliभरे आषाढ़ मा बरदा हेराय गा।: बघेली बोली  भरे आषाढ़ मा बरदा हेराय गा।  जइसा रीढ़ हीन का गरदा हेराय गा। ।  अब 'चाल चेहरा चरित्र 'कै चर्चा नही चलै  घिनहा पा...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli boli जब हवन कुण्ड मागय लगा पण्डित का बलिदा...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli boli जब हवन कुण्ड मागय लगा पण्डित का बलिदा...: जब हवन कुण्ड मागय लगा पण्डित का बलिदान।  पूजा पत्री छोड़ के पेल भगें जजमान। ।  हेमराज हंस --9575287490

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : KAVI HEMRAJ HANS राजनीति में डिगरी की जरुरत नही ह...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : KAVI HEMRAJ HANS राजनीति में डिगरी की जरुरत नही ह...: राजनीति में डिगरी की जरुरत नही होती।  जंगल में सिगड़ी की जरुरत नही होती।। हेमराज हंस  9575287490

bagheli boli जब हवन कुण्ड मागय लगा पण्डित का बलिदान।


जब हवन कुण्ड मागय लगा पण्डित का बलिदान। 
पूजा पत्री छोड़ के पेल भगें जजमान। । 
हेमराज हंस --9575287490 

शुक्रवार, 26 जून 2015

bagheli boliभरे आषाढ़ मा बरदा हेराय गा।

बघेली बोली 

भरे आषाढ़ मा बरदा हेराय गा। 
जइसा रीढ़ हीन का गरदा हेराय गा। । 
अब 'चाल चेहरा चरित्र 'कै चर्चा नही चलै 
घिनहा पानी निकरैं का नरदा हेराय गा। । 
हेमराज हंस     >  9575287490 

बुधवार, 24 जून 2015


 मत कहो आकाश में कुहरा घना है।
यह किसी की व्यक्ति गत आलोचना है

संस्कार कै हाट लगी है पै  ही महग बाजार। 
इहव सदी माही गरीब के पढ़य कै  नहि  आय तार 

शुक्रवार, 19 जून 2015

KAVI HEMRAJ HANS राजनीति में डिगरी की जरुरत नही होती।


राजनीति में डिगरी की जरुरत नही होती। 
जंगल में सिगड़ी की जरुरत नही होती।।
हेमराज हंस  9575287490 

BAGHELI KAVITA विद्या के मंदिर मा बरती हई लछमी की बाती। कइसन देस या पढ़ी लिखी सरस्वतिव सकुचातीं। । हेमराज हंस

बघेली कविता 

विद्या के मंदिर मा बरती हई लछमी की बाती। 
कइसन देस या पढ़ी लिखी सरस्वतिव सकुचातीं। । 
हेमराज हंस 

सोमवार, 8 जून 2015



बड़ी भयंकर गरमी है। 
ये कैसी बे शरमी हैं। ।
कागा से बोली  गौरैया 
तू तो बड़ा सत्कर्मी है। । 
हेमराज हंस 




BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli अम्मलक जना थै उनखे चाल से।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli अम्मलक जना थै उनखे चाल से।: मुक्तक  अम्मलक जना थै उनखे चाल से।  हरिश्चंद  समझौता है नटवर लाल से। ।  लबालब भरा है ता आज उई टर्रा थें  सब गूलर भाग जई है सूख ताल...

bagheli अम्मलक जना थै उनखे चाल से।

मुक्तक 

अम्मलक जना थै उनखे चाल से। 
हरिश्चंद  समझौता है नटवर लाल से। । 
लबालब भरा है ता आज उई टर्रा थें 
सब गूलर भाग जई है सूख ताल से। । 
हेमराज हंस --9575287490 

शुक्रवार, 5 जून 2015

baghejiउई शबरी के बेर का अमचुर बना के बेंचा थें।

बघेली गजल 

उई शबरी के बेर का अमचुर बना के बेंचा थें। 
सरासरीहन लबरी का फुर बना के बेंचा थें। । 
जे जीते के बाद हार गें जनता के विश्वास से 
अइसा कायर का बहादुर बना के बेंचा थें। । 
हेमराज हंस 9575287490   

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita वमै डबरा योजना का पड़बा देखाई थे। ।...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita वमै डबरा योजना का पड़बा देखाई थे। ।...: मुक्तक  आबा ! गाँव मा शौचालय का गड़बा देखाइ थे।  वमै डबरा योजना का पड़बा  देखाई थे। ।  ब्यवस्था बताऊ थी वजट कै कमी ही  हम छूँछ सरकार...

hemrajhans------उनकी गुण्डागर्दी देखो।

मुक्तक 

यार उनकी गुण्डागर्दी देखो। 
ऊपर से हम दर्दी देखो। । 
घाव से मजाक करती है 
पीड़ा नाशक हल्दी देखो। । 
हेमराज हंस --9575287490 

सोमवार, 1 जून 2015

bagheli kavita वमै डबरा योजना का पड़बा देखाई थे। ।

मुक्तक 

आबा ! गाँव मा शौचालय का गड़बा देखाइ थे। 
वमै डबरा योजना का पड़बा  देखाई थे। । 
ब्यवस्था बताऊ थी वजट कै कमी ही 
हम छूँछ सरकारी भड़बा देखाई थे। । 
हेमराज हंस --9575287490 

bagheli kavita जनता जब पामै लगी जनधन बीमा लाभ।

कुण्डलिया 

जनता जब पामै  लगी जनधन बीमा लाभ। 
मोदी जी के दांव से बंद विपक्षी चाभ। । 
हेमराज हंस  

शनिवार, 30 मई 2015

जे कबहूँ खाइस नही रोटी भाइन साथ।

दोहा
जे कबहूँ खाइस नही रोटी भाइन साथ। 
ओखे हाथे मा हबै जगन्नाथ का भात। । 
हेमराज हंस -9575287490 

दोहा 

जे कबहूँ खाइस नही रोटी इन  

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बेउहर के भीती लिखा ''अति गरीब परिवार ''।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बेउहर के भीती लिखा ''अति गरीब परिवार ''।: दोहा  बेउहर के भीती  लिखा ''अति गरीब परिवार ''।      पानी पानी होइ रही बाँच बाँच सरकार।  हेमराज हंस --9575287490  ...

बेउहर के भीती लिखा ''अति गरीब परिवार ''।

दोहा 

बेउहर के भीती  लिखा ''अति गरीब परिवार ''।  
   पानी पानी होइ रही बाँच बाँच सरकार।
 हेमराज हंस --9575287490 

शुक्रवार, 29 मई 2015

भारत देस हमारै आय रहय का नहि आय बखरी। ।

बघेली कविता 

आजादी से अजुअव तक वइसै फटी ही कथरी। 
भारत देस हमारै  आय रहय का नहि आय बखरी। । 
देखा एक नजर जनतै पुन देखा आपन ठाठ। 
दस दस मोटर तोहरे दुअरा हमरे टुटही खाट। । 
कब तक हम अपना का ढोई लहकै लाग है कन्धा। 
तुहिन बताबा राजनीत अब सेवा आय कि धन्धा। । 
   क्रमशः ------------------------
हेमराज हंस ----9575287490  

बुधवार, 27 मई 2015

baghelikavita--कहिन नहा तुम दूध से दद्दी भईस दइन बे थन कै।

बघेली शेर 

कहिन नहा तुम दूध से दद्दी भईस  दइन बे थन कै। 
'मूड़े काही तेल नही औ  मनुस मुंगौरै ठनकै। । 
हेमराज हंस --9575287490 

कहां धरोगे ऎसे धन को जिसमें लगी हो आह।

दोहा 

कहां धरोगे ऎसे धन को जिसमें लगी हो आह। 
स्वयं ढूढ़ता वह चलने को घर में बारह राह। । 
हेमराज हंस --9575287490  

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : सूरज नेता विश्व का सबका पालनहार।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : सूरज नेता विश्व का सबका पालनहार।: दोहा  सूरज नेता विश्व का सबका पालनहार।  मानसून हित तिप रहा करने को उपकार। ।  हेमराज हंस -9575287490

सूरज नेता विश्व का सबका पालनहार।

दोहा 

सूरज नेता विश्व का सबका पालनहार। 
मानसून हित तिप रहा करने को उपकार। । 
हेमराज हंस -9575287490 

hemraj hans ---जो राष्ट्रीय पहिचान म कहू ठे होत कबीर।

दोहा

दोहा

जो राष्ट्रीय पहिचान म कहू ठे होत कबीर। 
तब न होत घिनहा यतर धरम केर उपचीर। । 
हेमराज हंस --9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : HEMRAH HANS-जैसे कोई पूंछ रहा हो 'भीमराव 'से जात। ...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : HEMRAH HANS-जैसे कोई पूंछ रहा हो 'भीमराव 'से जात। ...: दोहा  जले घाव पर हो रहा मिर्ची का आघात।  जैसे कोई पूंछ रहा हो 'भीमराव 'से जात। ।  हेमराज हंस --9575287490 

HEMRAH HANS-जैसे कोई पूंछ रहा हो 'भीमराव 'से जात। ।

दोहा 

जले घाव पर हो रहा मिर्ची का आघात। 
जैसे कोई पूंछ रहा हो 'भीमराव 'से जात। । 
हेमराज हंस --9575287490 

रविवार, 24 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल।: दोहा  खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल।  कूलर से बिजना कहिस जान्या हमरिव मोल। ।  हेमराज हंस

खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल।

दोहा 

खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल। 
कूलर से बिजना कहिस जान्या हमरिव मोल। । 
हेमराज हंस 

उनही हमरे गाँव मा कांटा लगा थें। ।

मुक्तक 

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जे राजधानी मा डांटा लगा थें। 
उनही हमरे गाँव मा कांटा लगा थें। । 
उई  विज्ञापन कै मलाई छान रहे है  
ता  गाँव के समाचार माठा लगा थें। । 
हेमराज हंस 

उनही हमरे गाँव मा कांटा लगा थें। ।

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जेखे पीठे म बजा बारां का घरियार। 
ओहिन की दारी सुरिज कढ़ई खूब अबिआर। … 

शनिवार, 23 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै...: बघेली कविता  www.baghelisahitya.com --------------------------------------------------------------------------------------------- शहर ...

bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै बाती।

बघेली कविता www.baghelisahitya.com

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शहर मा  जाके रहय लाग जब से आपन गाँव। 
भरी दुपहरी आँधर होइगै लागड़ होइ गै छाँव। । 

 गाँवन कै इतिहास बन गईं अब पनघट कै गगरी। 
 थरी कोनइता मूसर ज्यतबा औ कांडी कै बगरी। । 
              गड़ा बरोठे किलबा सोचइ पारी आबै माव  । 

हसिया सोचै अब कब काटब हम चारा का ज्यांटा। 
सोधई दोहनिया मा नहि बाजै अब ता दूध का स्यांटा। । 
काकू डेरी माही पूंछै दूध दही का भाव। 

 दुर्घट भै बन बेर बिही औ जामुन पना अमावट। 
''राजनीत औ अपराधी ''अस सगली हाट मिलावट। ।
      हत्तियार  के  बेईमानी मा डगमग जीवन नाँव। 

जब से पक्छिमहाई बइहर गाँव मा दीन्हिस खउहर। 
उन्हा से ता बाप पूत तक करै फलाने जउहर। । 
नात परोसी हितुअन तक मां एकव नही लगाव।  

कहै जेठानी देउरानी के देख देख के ठाठ  । 
हम न करब गोबसहर गाँव मा तोहरे बइठै काठ। । 
हमू चलब अब रहब शहर मा करइ कुलाचन घाव। 

नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै बाती। 
बीत रहीं गरमी कै छुट्टी  आयें न लड़िका नाती। ।    
खेर खूंट औ कुल देउतन का अब तक परा बधाव। 


ममता के ओरिया से टपकें अम्माँ केर तरइना। 
फून किहिन न फिर के झाँकिन दादू  बहू के धइन.। । 
यहै रंझ के बाढ़ मां हो थै लउलितियन का कटाव। 
शहर मा जाके ----------------------------------------
हेमराज हंस --9575287490   


















 

शहर मा जाके बसय लाग जब से आपन गाँव ----

कविता 

शहर   मा जाके बसय लाग जब से आपन गाँव  --------------------------------------------------
दुर्घट भै बन बेर बिही औ जामुन पना अमावट। 
राजनीत औ अपराधी अस सगली हाट  मिलावट। । 
बेईमानन के बेईमानी मा डगमग जीवन नाव। 
 

bagheli kavita बघेली कविता

 

बघेली  कविता 

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 दुर्घट भै बन बइर् ,बिहि,औ जामुन पना अमावट। 
राजनीत औ अपराधी औ अपराधी अस 

बुधवार, 20 मई 2015

आबा हम गाँव का कोलान देखाई थे।

मुक्तक 

आबा हम गाँव का कोलान देखाई थे। 
होन आजादी का बइकलान देखाई थे। । 
जेही तुम वोट कै मण्डी समझत्या है 
ओखे गरीबी का चालान देखाई थे। । 
हेमराज हंस 
  

मंगलवार, 19 मई 2015

 मुक्तक 

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BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।: मुक्तक  - देस         से   बड़ी   पार्टी  नही   होय।  जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।  भले   बिभीषन   भक्त   हें राम   के  पै विश्...

जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।

मुक्तक 

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देस        से   बड़ी   पार्टी  नही   होय। 
जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। । 
भले   बिभीषन   भक्त   हें राम   के 
पै विश्व मा गद्दारन कै आरती नही होय। । 
हेमराज हंस ----------9575287490 

सोमवार, 18 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।: मुक्तक  -------------------------------------- जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।  तब   जनता आपन पीठ बाँटा थी। ।  देस मा मजूरन के क्...

जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।

मुक्तक 

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जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी। 
तब   जनता आपन पीठ बाँटा थी। । 
देस मा मजूरन के क्याबा होइ रहे हें 
ब्यवस्था मीठ मीठ भाषन बाँटा थी। । 
हेमराज हंस -----------9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : सूर्पनखा के नाक कै डिजाइन हेरा थें।।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : सूर्पनखा के नाक कै डिजाइन हेरा थें।।: मुक्तक  -------------------------------------------------- उई  प्रगतिशील हैं तउ डाईन  हेरा थें।  सूर्पनखा के  नाक कै डिजाइन हेरा थें...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।: मुक्तक  -------------------------------------------- भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।  बाउर अस है वा समाज जेखर आपन भाख न होय। । ...

भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।

मुक्तक 

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भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय। 
बाउर अस है वा समाज जेखर आपन भाख न होय। । 
बपुरी जनता नेम प्रेम भाई चारा से रहि तो लेय 
जो हमरे देस के नेतन का नैतिक अँधिआरी पाख न होय। । 
हेमराज हंस ---------------9575287490 

रविवार, 17 मई 2015

ये भी उसकी काफिआ सी लगती है। ।

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राजनीति माफिआ  सी लगती है। 
ये भी उसकी काफिआ सी लगती है। । 
हेमराज हंस 

शनिवार, 16 मई 2015

उई दहाई तक आय गें यहै दशा मा। ।

मुक्तक 

मोटाई  हरबी चढ़ा थी सत्ता के बसा मा। 
उई दहाई तक आय गें यहै दशा मा। । 
जनता कबहू  कहू कै सगही नही भै 
छिन मा उतरा थी जे रहा नशा मा। । 
हेमराज हंस 

भारत माता पाँव मा गुखरू बांधे बागा थी। ।

मुक्तक 

राजनीत पांव मा  घुंघरू बांधे बागा थी। 
भारत माता पाँव मा गुखरू बांधे बागा थी। । 
मँहगाई बजिंदा बोकइया कइ दीन्हिस 
गुंडई लंच का कुकड़ू कूं लये बागा थी। । 
हेमराज हंस  

गुरुवार, 14 मई 2015

सूर्पनखा के नाक कै डिजाइन हेरा थें।।

मुक्तक 

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उई  प्रगतिशील हैं तउ डाईन  हेरा थें। 
सूर्पनखा के  नाक कै डिजाइन हेरा थें।।
जब से मड़ये  तरी सारी से बोलियाँन  हें 
तब से उनही साढ़ूभाईन  हेरा  थें। । 
हेमराज हंस -----9575287490 

सोमवार, 11 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी: मुक्तक  ------------------------------------------- घिनहव   का नागा नही कहीं येही बड़प्पन मान कहा।  फलाने  कहा थें कि  हमहीं अकबर महा...

जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी

मुक्तक 

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घिनहव  का नागा नही कहीं येही बड़प्पन मान कहा। 
फलाने  कहा थें कि  हमहीं अकबर महान कहा। । 
जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी 
उई कहा थें हमू का भारत कै संतान कहा।।
हेमराज हंस 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।: मुक्तक  अनमन अनमन सयान बइठ हे।  टन मन पीरा के बयान बइठ हे। ।  दोउ जून जुड़े जिव रोटी नही मिलै  आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।      ...

आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।

मुक्तक 

अनमन अनमन सयान बइठ हे। 
टन मन पीरा के बयान बइठ हे। । 
दोउ जून जुड़े जिव रोटी नही मिलै 
आंसू पी पी के अघान बइठ हे। । 
       हेमराज हंस 

सोमवार, 4 मई 2015

हेन किसानन के घर मा गरुड़ पुरान होथी। ।

मुक्तक ---------------------------------

समाज मा  दहेज़ कै भारी दुकान होथी। 
नींद नही आबै जब बिटिया सयान होथी। । 
उई कहिन तै देस से कि भागवत सुनबाउब 
हेन किसानन के घर मा गरुड़ पुरान होथी। । 
हेमराज हंस ----9575287490 
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BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : माणिक दादा ने कहा उच्च कोटि के नीच। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : माणिक दादा ने कहा उच्च कोटि के नीच। ।: दोहा  जहाँ व्यवस्था ने कसी कस्तूरी घींच।  माणिक दादा ने कहा  उच्च कोटि के नीच। ।

माणिक दादा ने कहा उच्च कोटि के नीच। ।

दोहा 

जहाँ व्यवस्था ने कसी कस्तूरी  की घींच। 
माणिक दादा ने कहा  उच्च कोटि के नीच। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

रविवार, 3 मई 2015

हमरे ईमानदारी का रकवा रोज घटा थै।

मुक्तक 

हमरे ईमानदारी का रकवा रोज घटा थै। 
या खबर बांच बाँच के करेजा फटा थै। । 
जब उनसे पूंछयन ता कहा थें फलाने 
चरित्र का प्रमाण पत्र थाने मा बटा थै। । 
हेमराज हंस -------9575287490 

शनिवार, 2 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। ।: शहीदन कै वंदना  ------------------------------------------------- धन्न धन्न सौ बेर धन्न य देस कै पावन माटी।  हमरे पुरखन का प्रताप औ ...

धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। ।

शहीदन कै वंदना 

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धन्न धन्न सौ बेर धन्न य देस कै पावन माटी। 
हमरे पुरखन का प्रताप औ भारत कै परिपाटी। । 
कहय लाग भारत माता धन्न बहिनी डोर कलाई का। 
जे सीमा मा संगीन लये दइन जीवन देस भलाई का। । 
धन्न कोख महतारी कै जे पूत दान दइन मूठी मा। 
मातृभूमि के देस प्रेम का दूध पिआइन घूंटी मा। । 
धन्न धन्न वा छाती का जेहि एकव है संताप नही। 
बलिदान पूत भा देस निता धन्न धन्न वा बाप कही। । 

धन्न धन्न वा येगुर काहीं  वा सेंदुर कै मांग धन्न। 
ज्याखर भा अहिवात अमर वा नारी केर सोहाग धन्न। । 

उई भाईन कै बांह धन्न मारिन सुबाहु मरीची अस। 
बइरी वृत्तासुर मरै का जे बन गें वज्र दधीची अस। । 
औ अपने अपने रक्तन से वन्दे मातरम उरेह दइन.। 
जब भारत माता मागिस ता उई हँसत निछावर देह दइन। । 

बोली हर हर महादेव कै बोल ऊचें सरहद्दी मा। 
औ बैरिन का मार भगाइन खेलै खेल कबड्डी मा। । 
धन्न उई अमर जबानन का जेहिं कप्फन मिला तिरंगा का। 
जब राख फूल पहुंची प्रयाग ता झूम उचा मन गंगा का। । 
ताल भैरवी देश राग तब गूंजी घाटी घाटी। 
धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देस कै पावन माटी। । 

गरजै लगे  सफ़ेद शेर औ बांधव गढ़ के हिरना। 
फूली नही समतीं बीहर औ केवटी के झिरना। । 
बीर सपूतन के उरांव मा डुबी गइया बछिया। 
बीर पदमधर के बलिदानव का खुब सुमिरै बिछिया। । 

बीर विंध्य कै सुनै कहानी नानी मुन्ना मुन्नी। 
गद्गद होइ गें चित्रकूट औ धार कुड़ी पयसुन्नी।।
अमरकंटक मा बिह्वल रेवा सुन के अमर कहानी। 
विंध पूत सीमा मा जाके बने अमर बलिदानी। । 
 
कलकल करत चली पछिम का दुश्मन कई दहाड़ी। 
सीना तानै'' नरो'' ''पनपथा'' औ" कैमोर' पहाड़ी। । 
तबहिंन हिन्द महा सागर मा बड़ बडबानाल धंधका। 
दुश्मन के भें ढ़ील सटन्ना हिन्दू कुश तक दंदका। ।  

गोपद बनास टठिया साजै औ सोन करै पूजा पाती। 
औ रेवा खुद धन्न होइ गई कइ के उनखर सँझबाती। । 
हे !उनखे तरबा का धूधुर हमरे लिलार का चन्दन बन। 
ओ कवि !तहू दे खून कुछू तबहिन होइ उनखर वंदन। । 
देस भक्ति जनसेवा बाली ही जिनखर परिपाटी। 
धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। । 

हेमराज हंस 9575287490 

















 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे ठई भूख का नक्शा धरा है

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे ठई भूख का नक्शा धरा है: मुक्तक  रमुआ का पंचर रक्शा धरा है।  औ परछी मा छूँछ बक्सा धरा है। ।  उई कहा थे य विपक्ष कै साजिश आय  हमरे ठई भूख   का नक्शा धरा है....

हमरे ठई भूख का नक्शा धरा है

मुक्तक 

रमुआ का पंचर रक्शा धरा है। 
औ परछी मा छूँछ बक्सा धरा है। । 
उई कहा थे य विपक्ष कै साजिश आय 
हमरे ठई भूख  का नक्शा धरा है.
हेमराज हंस --9575287490  

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।: मुक्तक  अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।  गिरे के बाद भुइ मा गाज नही मिलै। ।  लोकतंत्र मा जनता जेही ठोकराउथी  ओही हरबी हेरे ताज नही म...

अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।

मुक्तक 

अब एक रूपया कै भांज नही मिलै। 
गिरे के बाद भुइ मा गाज नही मिलै। । 
लोकतंत्र मा जनता जेही ठोकराउथी 
ओही हरबी हेरे ताज नही मिलै। । 
हेमराज हंस --9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आपन सहज बघेली आय।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आपन सहज बघेली आय।: बघेली  आपन सहज बघेली आय।  गाँव के क्वारा कै खेली आय। ।  विंध्य हबै ज्याखर अहिवात  ऋषि अगस्त्य कै चेली आय। ।  हेमराज हंस --957528...

बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।।

जेखे  आंखर  बने  हें,  जनता  के स्वर दूत। बंदन  है  जयराम जी, बिन्ध्य  के बानी पूत।।  सादर  ही  शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...