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सोमवार, 8 अप्रैल 2024

नये साल सम्बत् का आजु शुभ पर्व है।

सनातन के नेरे रिगु साम यजु अथर्व है।
अपने परिपाटी का हमीं बड़ा गर्व है। ।
कोट कोट बधाई देस बासिन का हंस
नये साल सम्बत् का आजु शुभ पर्व है। ।  

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अपना का सादर बधाई शुभकामना। पावन नव रात्री कै घट इस्थापना।। अपने शुभ संबत का नबा साल आबा पूर करंय मैया जी सब कै मनोकामना।। हेमराज हंस
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नये संबत केर बधाई, भइय्या बंदेमातरम। चाही सबकै नीक भलाई ,भइय्या बंदेमातरम।। देस माही सुख संच ले आबै दुइ हजार इक्यासी। एक सुर मा सब कोउ गाई, भइय्या बंदेमातरम।। हेमराज हँस

गुरुवार, 28 मार्च 2024

महल मड़इया से रंगदारी भूल गा।

 महल मड़इया से रंगदारी भूल गा। 

जउन दइस रहा वा उधारी भूल गा।। 

जब से चुनाव कै घोसना भै देस मा 

तब से मुँह झुरान है गारी  भूल गा।।  

शनिवार, 9 दिसंबर 2023

भइलो चलें देखामय भाटा।।

जब जर माही परिगा माठा। 
भइलो चलें देखामय भाटा।। 
एक कई खुब चहल पहल ही 
एक  कई  पसरा  सन्नाटा। ।  

गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

गदहा का कहिहैं बाप। आसव चुनाव है।

मुलुर मुलुर बस देखा आप। आसव चुनाव है। 
देखा बनत  धजी का सांप।। आसव चुनाव है।
जे  किहे  नमस्ते   तक मा  कबहूं  नहीं  नेहरैं   
गदहा  का  कहिहैं   बाप।।   आसव  चुनाव है।
     हेमराज हंस===== 9575287490 



 

सोमवार, 20 मार्च 2023

बम चकाचक होरी है।
रंगन मा दहबोरी है।।
नस्सा माही लस्सा ले थी
शहर गाँव हर खोरी है।।

सोमवार, 2 जनवरी 2023

 हम दयन नये साल कै बधाई।

हम    दयन    नये    साल    कै   बधाई।
फलनिया कहिस तोहइ लाज नहीं आई।।
पाँव हें जोंधइया  मा  हाथे  परमानु बम
पै देस मा घ्रिना कै खासा  जबर  खाई। । 

मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस

गांधी जी अमर हैं गंगा के धारा अस। 
देश के माटी मा जन जन के नारा अस।। 
गांधी पढाये जइहैं  सब दिन इसकूल मा 
भारत के बचपन का गिनती औ पहाड़ा अस।। 

रविवार, 3 अप्रैल 2022

कोऊ अमीरी से त कोऊ गरीबी से दुखी है

कोऊ अमीरी से त कोऊ गरीबी से दुखी है। 
कोउ दुसमन से त कोउ करीबी से दुखी है।। 
या दुनिया मा सुख संच हेरे नही मिलय 
कोऊ मिया से ता कोउ बीबी से दुखी है।। 

रविवार, 27 मार्च 2022

उंई चाहाथें देस मा बाउर पइदा होंय

उंई चाहाथें देस मा बाउर पइदा होंय ।
औ उनखे घर मा जनाउर पइदा होंय ।।
एक   बूंद   पानी   न   बरखै  खेत मा
औ सीधे धान नही चाउर पइदा होंय।।

शनिवार, 8 अगस्त 2020

जातिवाद ह्याराथें रिमही बघेली

उंइ भस्मासुर मा जातिबाद ह्यारा थें।
राजनीत बोमैं का रेती मा खाद ह्याराथें।। 
बड़े गभुआर हें लोकतंत्र के लुच्चा 
कुलटन के बस्ती मा मरजाद ह्याराथें।। 

बेसाही सरकार का रुतबा Rimhi kavita

बेसाही सरकार का रुतबा नही रहे। 
जइसा कठपुतरी मा सुतबा नही रहै।। 
भले पूजा जिंद बरम बीस ठे खबीस 
पै हनुमान चलीसा बांचा ता भुतबा नही रहै।। 

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।

        *लोकगीत  * दार महँगी  है  खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी  ।    भाव     सुनत  मा    लागय   ठुसका।। दार महँगी  ।।     किधनव  बनाउब  पान...