हम उनही दिल दइ दीन्ह्यान अब गुर्दा माँगा थें।
बारिस मा सब सरि गै धान ता उर्दा माँगा थें।।
स्वस्थ बिभाग के सेबा से गदगद हें सब रोग बिथा
अस्पताल से हरबी छुटटी मुर्दा माँगा थें।।
हेमराज हंस
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास। उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।। सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर। रिमही मा हें सरस जी , जस पा...
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