कीर्ति बिटिया माँ बनी, हरी भरी हुई गोद।
परिजन हैं उल्लास में, सबके मन में मोद।।
आशा दसमी शुभ तिथि, सुदी का स्वाति नक्षत्र।
दो हज्जार बायसी, का सम्बत पावस सत्र।।
नाती आयुष्मान भव , रहे ख़ुशी आह्लाद ।
सबकी है शुभकामना सबका आशीर्वाद।।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
परिजन हैं उल्लास में, सबके मन में मोद।।
आशा दसमी शुभ तिथि, सुदी का स्वाति नक्षत्र।
दो हज्जार बायसी, का सम्बत पावस सत्र।।
नाती आयुष्मान भव , रहे ख़ुशी आह्लाद ।
सबकी है शुभकामना सबका आशीर्वाद।।
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।
जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।
आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन ।
मैहर का हो आपके कर कमलों संचालन।।
माँ शारद से विनय है , आप हों दीप्तिमान।
मैहर के प्रिय लाल , बढ़े यश कीर्तिमान।।
हेमराज हंस
श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास। उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।। सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर। रिमही मा हें सरस जी , जस पा...