य विपत के घरी मा तुमहूं भजामैं आ गया।
तलवार फरगत के जघा पायल मजामै आ गया। ।
अबहिंन एक किसान कै लहास उची ही
तुम खेती मा लाभ का धन्धा बतामय आ गया। ।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
य विपत के घरी मा तुमहूं भजामैं आ गया।
तलवार फरगत के जघा पायल मजामै आ गया। ।
अबहिंन एक किसान कै लहास उची ही
तुम खेती मा लाभ का धन्धा बतामय आ गया। ।
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...