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रविवार, 21 अप्रैल 2024

जउन मेंछा मा ही शान वा पूंछी मा नहीं ।।

 जाति   बाद  के  मथरे   परंगत  नहीं  परै। 
राबन  के  बहकाये   मा  अंगद  नहीं परै।। 
चाह   जउन   जात   के  होंय   नेता    जी  
पै गरीबन  के साथ उनखर  पंगत नहीं परै।।
हेमराज हंस 
चमचा गीरी जेखे कलम कूंची मा नहीं। 
वाखर  नाव  अपना  के  सूची  मा नहीं।।
देस  कै  जनता  जाना  थी    नीक   के  
जउन मेंछा मा ही शान वा पूंछी मा  नहीं ।। 
हेमराज हंस 

हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।
पता नही  तन मा धौं  कउन  रोग रहा थै। ।
तन   से    हें   बुद्ध   मन    से   बहेलिया
पंछी  अस  पीरा  य  लोकतंत्र सहा थै ।।
हेमराज हंस 

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पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।

 जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें।  पबरित   परसाद    भंडासराध   कइ  रहे  हें।।  उनहीं   पकड़  के  सीधे  सूली  मा  टांग  द्या  हमरे  धर...