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शनिवार, 6 अप्रैल 2024

लोकतंत्र के ओंठ

 भले लगा लें जोर सब, उनही दई तिलाक।

करके चूर घमंड का, टोरिहै राम पिनाक।।


चाहे कोउ तिनगै भले, झूरै भांजै तेंग।

जे पूजिस ही अबध का अबकी पाई नेग।।


यतर करी मतदान हम, लगै अउर का ईर।

पूरे भारत मा बनै, आपन बूथ नजीर।।


देस हमीं जीबन दइस, औ सुबिधा चउकेठ।

हंस हमूं मतदान कइ,बनी नागरिक ठेठ।।


सब झंझट का छोड़ि के करी बोट भर पूर।

निकहा प्रत्याशी चुनी जात पात से दूर।।


लोकतंत्र आपन हबय, दुनिआ का लकटंट।

जनतै लड़िअमफूस ही ,जनता ही श्री मंत।।


अपना से बिनती हिबय, डारी सब जन बोट।

जिव निछोह बिदुरा सकैं, लोकतंत्र के ओंठ ।।


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