यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 28 मार्च 2024

महल मड़इया से रंगदारी भूल गा।

 महल मड़इया से रंगदारी भूल गा। 

जउन दइस रहा वा उधारी भूल गा।। 

जब से चुनाव कै घोसना भै देस मा 

तब से मुँह झुरान है गारी  भूल गा।।  

कोई टिप्पणी नहीं:

पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।

 जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें।  पबरित   परसाद    भंडासराध   कइ  रहे  हें।।  उनहीं   पकड़  के  सीधे  सूली  मा  टांग  द्या  हमरे  धर...