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बुधवार, 13 मार्च 2024

BAGHELI KAVITA


                           बिटिया
ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी  इस्कूलै  ड्रेस पहिर के बइया रे।
टाँगे  बस्ता  पोथी  पत्रा  बिटिया   बनी     पढ़इया रे। ।

खेलै   चन्दा,   लगड़ी,  गिप्पी,  गोटी,  पुत्ता  -पुत्ती  ।
छीन भर मा  मनुहाय जाय औ छिन भर माही कुट्टी। ।
बिट्टी  लल्ला   का   खिसबाबै   ''लोल  बटाइया  रे''। ।

ठउर   लगाबै   अउजै  परसै  करै चार  ठे त्वारा।
कहू  चढ़ी  बब्बा  के कइयां  कहु अम्मा के क्वारा। ।
जब  रिसाय  ता  पापा  दाकै  पकड़  झोठइया रे।

बिन बिटिया के अंगना अनमन घर बे सुर कै बंसी।
बिटिया दुइ  दुइ कुल  कै होतीं  मरजादा  बड़मंसी। ।
हमरे   टोरिअन   काही    खाये    जा   थै  दइय रे।

भले  नही  भइ  भये  मा  स्वाहर पै न माना अभारु।
लड़िका  से  ही ज्यादा  बिटिया  ममता भरी मयारू। ।
पढ़ी   लिखी  ता  बन  जई  टोरिया  खुदै  सहय्याँ रे।

कन्यन कै होइ रही ही हत्या बिगड़ि  रहा अनुपात।
यहै  पतन जो  रही 'हंस ' ता  कइसा  सजी बरात। ।
मुरही   कोख  से   टेर   लगाबै   बचा  ले मइया रे। ।
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✍️हेमराज हंस -- भेड़ा  मैहर 

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