नल तरंग बजाउथें बजबैया झांझ के।
देश भक्ति चढ़ाती फलाने का साँझ के।उनही ईमानदार कै उपाधि दीन गै
जे आँधर बैल बेंच दीन काजर आँज के।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
जेखे आंखर बने हें, जनता के स्वर दूत। बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।। सादर ही शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...