बड़े अंतरजामी हें बाथरूम तक का जानाथैं।। उनसे खुई कइ के सुंग कण्व न बनाबा
उंई मंत्र पिंडदान से हूम तक का जानाथैं।।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
*लोकगीत * दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी । भाव सुनत मा लागय ठुसका।। दार महँगी ।। किधनव बनाउब पान...