बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
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सोमवार, 29 अप्रैल 2024
पइ महलन के कोंख से आये सब दिन बुद्ध।।
पूंछ रही ही दलन से, लोक सभा कै ईंट।
बुधवार, 10 अप्रैल 2024
खखरी भुंडी तक किहिन,मानस का अपमान
जीबन के हर पक्ष का,जे दे सरल निदान।
खखरी भुंडी तक किहिन,मानस का अपमान।।
लगी रही जब देस मा, गरिआमै कै रयाव।
ता न किहा आलोचना, औ न दीन्हया ठयाव।।
डेंगू अउर मलेरिया, कह्या तु ऊल जलूल।
वा तोहरे अपमान का, सकब न हरबी भूल।।
हेमराज हंस
हिंआ कांगरेसी करैं, भाजपा केर प्रचार।
देखा अपने देस मा, प्रेम औ भाइपचार।
हिंआ कांगरेसी करैं, भाजपा केर प्रचार।।
हेमराज हंस
गुरुवार, 18 जनवरी 2024
गांधी बादी देंह मा, बाम पंथ के प्रान।।
हे जग जननी सारदे, मै मांगों कर जोर।
भारत मा सुख संच कै,पबन बहै चहुओर।।
नबा साल मा सब जने, रहैं निरोग प्रसंन्न।
सब काही रोजी मिलय, खेतन मा हो अन्न।।
राघव मरजादा दिहिन, औ माधव जी कर्म।
दुइ लीखन मा चलि रहा,सत्य सनातन धर्म।।
राम देस कै आतिमा, राम देस के प्रान ।
हमरे भारत देस कै, रामै से पहिचान ।।
अबधपुरी मा पूर भा, मंदिर का निरमान।
सदिअन के बलिदान का, अबै मिला है मान।।
केत्तेव पुरखा गुजरिगें लये हिदय मा हूक।
आजु तृप्त भै आतिमा लउलितिया कै भूख।।
जय जय पाबन अबध कै जय जय भारत बर्ष।
मंदिर के निरमान का जन जन मा है हर्ष।।
आदि पुरुस जहाँ मनू भें, करिन सृष्टि निरमान।
अजोध्या पाबन धाम है , मनुज का मूल अस्थान।।
किहिस सनातन सब दिना, जन मंगल का गान।
प्राणी मा सद भावना, बिस्व केर कल्यान।।
अपने भारत देस मा कबिता बड़ी लोलार।
छत्रसाल राजा बने कबिता केर कहार।।
नेता जी के नाव से उभरै चित्र सुभाष।
अब के नेता लगि रहें जइसा नहा मा फांस।।
बड़े जबर संगठन हें जात बाद के हेत।
तउ बिटिया के बाप का बिकिगा सगला खेत। ।
साहब सलाम औ पैलगी, गूंजै राम जोहर।
अबहूँ अपने गाँव मा, बचा हबै बेउहार। ।
ओतुन परबस्ती करा , जेतू कूबत पास।
परोपकार मा चला गा ,भोले का कैलास।।
देखा केतू गहिर है लोकतंत्र का कुण्ड।
राजकुमार जयंत तक बनगे कागभुसुण्ड।।
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कहिस कुलांचै धरम का, दिहिस आतिमा रोय।
जइसा कउनव बाप कै, बिटिआ भागी होय।।
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जउनै दल हेन न करी, धरम कै जय जयकार।
बामपंथ अस होइ जई, वाखर बंटाधार।।
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राजनीत कै नीचता, देखि के जुग चउआन।
गांधी बादी देंह मा, बाम पंथ के प्रान।।
बब्बा जी कीन्हिन रहा खसरा केर अपील।
नाती तक पेसी चली बिदुराथी तहसील।।
*********हेमराज हंस **************
मंगलवार, 29 अगस्त 2023
जइसा गदिया गोर
मंगलवार, 13 सितंबर 2022
बुधवार, 6 अप्रैल 2022
मंगलवार, 5 अप्रैल 2022
शनिवार, 8 अगस्त 2020
बेल पत्र गंगा जली rimhi kavita hemraj hans
5 अगस्त 2020 अयोध्याअजोध्या
बुधवार, 5 अगस्त 2020
अब भादों के चउथ का लगै दुइज से ईस।
शनिवार, 25 जुलाई 2020
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पहिले जब खड़े होकर लघु शंका करना निषिद्ध माना जाता था। तब की बात है।एक बालक खड़े होकर लघुशंका कर रहा था। गांव के एक बुजुर्ग ने देखा तो उसे...
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दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।
*लोकगीत * दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी । भाव सुनत मा लागय ठुसका।। दार महँगी ।। किधनव बनाउब पान...