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शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : 'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : 'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज...: गाहिंज करै गरीब कै करय दीन का ख्याल।  'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। ।  हेमराज हंस

'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । हेमराज हंस

गाहिंज करै गरीब कै करय दीन का ख्याल। 
'अन्त्योदय' के मंत्र हें पंडित दीनदयाल। । 
हेमराज हंस

शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।:              बिटिया  ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी  स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे।  टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। ।  खेलै चन्द...

हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।

             बिटिया 

ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी  स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे। 
टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। । 

खेलै चन्दा, लगड़ी, गिप्पी, गोटी, पुत्ता -पुत्ती  । 
छीन भर मा  मनुहाय जाय औ छिन भर माही कुट्टी। । 
बिट्टी लल्ला का खिसबाबै ''लोल बटाइया रे''। । 

ठउर लगाबै अउजै परसै करै चार ठे त्वारा। 
कहू चढ़ी बब्बा के कइयां कहु अम्मा के क्वारा। । 
जब रिसाय ता पापा दाकै पकड़ झोठइया रे। 

बिन बिटिया के अंगना अनमन घर बे सुर कै बंसी। 
बिटिया दुइ दुइ कुल कै होतीं मरजादा बड़मंसी। । 
हमरे टोरिअन काही  खाये जा थै दइया रे। 

भले नही भइ भये मा स्वाहर पै न माना अभारु। 
लड़िका से ही ज्यादा बिटिया ममता भरी मयारू। । 
पढ़ी लिखी ता बन जई टोरिया खुदै सहय्याँ रे। 

कन्यन कै होइ रही ही हत्या बिगड़ि  रहा अनुपात। 
यहै पतन जो रही 'हंस ' ता कइसा सजी बरात। । 
मुरही कोख से टेर लगाबै बचा ले मइया रे। । 
हेमराज हंस --9575287490 
(आकाशवाणी रीवा से प्रसारित )         

रविवार, 6 सितंबर 2015

बघेली नही ता अब वा ओरहन देई पं दीनदयाल से। ।

बघेली मुक्तक 

आबा भाई आँसू पोंछी पचके पचके गाल से।  
नही ता अब वा ओरहन देई पं दीनदयाल से। ।
टूट बडेरी अस जिंदगानी पाछू बइठ समाज के 
अजुअव ओढ़काबा है  टटबा जेखे सत्तर साल से। । 
हेमराज हंस   

BAGHELI वा लोकतंत्र का मंदिर औ विश्वास आय।

बघेली मुक्तक 

वा लोकतंत्र का मंदिर औ विश्वास आय। 
समाज का चित्र औ वहै इतिहास आय। । 
ओका दूध से भरा चाह दारू से 
आपन सदन त एक गिलास आय। । 
हेमराज हंस 

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।

        *लोकगीत  * दार महँगी  है  खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी  ।    भाव     सुनत  मा    लागय   ठुसका।। दार महँगी  ।।     किधनव  बनाउब  पान...