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मंगलवार, 8 जनवरी 2019

मुक्तक

शनीचचढ़ा कुसाइत गेर लेथी
जनता से जुड़य त शबरी बेर दे थी।।
पुन चह करेजा धइ द्या निकार के
रइय्यत राम राजव मा बगाबत हेर ले थी

बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।।

जेखे  आंखर  बने  हें,  जनता  के स्वर दूत। बंदन  है  जयराम जी, बिन्ध्य  के बानी पूत।।  सादर  ही  शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...