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सोमवार, 6 मई 2024

जेखे आँखी कान नही, ओही नव ठे कजरउटा है।

जेखे  आँखी  कान नही, ओही नव ठे  कजरउटा  है।
जे ऊमर केर फूल हमा, वाखर खासा अदरउटा है।। 

लादे साकिल  मा डब्बा वा   पानी  हेरत  बागा थै, 
रजधानी के निता हमारे, गॉंव मा संच सुखउटा है।।

अनगँइयव से पूछब ता वा,  वाखर   हाल बता देई,
जेखे घर मा आठ खबइया कमबइया एकलउता है ।।

कहिस बुढ़ीबा हमरे बिन्ध मा, फैक्ट्री हैं  रोजगार नही ,
काल्ह  साल  भर मा बम्बई से, मोर करेजा लउटा है।।
 
बन नदिया सरकारी भुंइ मा, सबल केर है अक्तिआर
निबल  मुकदमा लादे बागै, घर मा बचा कठउता है।। 

सरस्वती के मन्दिर  मा, बरती लछमी  की  बाती हंस
नहीं समाइत एकलव्य के फीस मा ओखर अउंठा है।। 
हेमराज हंस  

रविवार, 28 अप्रैल 2024

गरीबन के खातिर सब मनसेरुआ हें।

 गरीबन  के  खातिर  सब  मनसेरुआ  हें।
बिचारे के खटिआ मा तीन ठे पेरूआ हें। ।

चाह  एक  तंत्र   हो  या  कि   लोक  तंत्र 
कबहुं पकड़ी कालर गै कबहूं चेरुआ  हें।।

उइ  कहा  थें  भेद  भाव  काहू   से  नहीं 
पै कोठी का चुकंदर कुटिआ का रेरुआ हें।। 

राबन का सीता मइया चिन्हती  हैं नीक के 
तउ देती हइ भीख ओखे तन मा गेरूआ हें।। 

गरमी  कै छुटटी भै ता हंस  चहल पहल ही 
मामा के घरे बहिनी औ भइने बछेरुआ हें।।
हेमराज हंस 

सोमवार, 20 जनवरी 2020

हम सामर तैं गोर फलनिया rimhi kavita

तै लगते इन्दौर फलनिया 

हम सामर तैं गोर फलनिया।
बड़ी मयारू मोर फलनिया। । 

जीवन के ताना -बाना कै । 
तैं सूजी हम डोर फलनिया। । 

हम रतिया भादव महिना कै । 
तैं फागुन कै भोर फलनिया। । 

रिम झिम रिम झिम प्रेम के रित मा । 
हम मेघा तैं मोर फलनिया। । 

हम हन बिंध अस  ठगे ठगे  । 
तैं लगते इन्दौर फलनिया। । 

हिरदय भा कोहबर अस बाती । 
जब हंस से भा गठजोर फलनिया। । 


मंगलवार, 12 सितंबर 2017

रोजी कै बात कर

 

रोजी कै बात कर रोटी का बात कर.
 गरीब हें निपरदा लगोटी कै बात कर।।

 त्रहि त्राहि मची ही पानी कै देस मां

, नाहक न बहैं पाबै टोंटी कै बात कर।।

 भरे कंठ माही बिक्ख नीलकंठ बन,

 समाज माही सीलासपोटी कै बात कर।।

 भले कल्लाथै पै कुतकुती तो ही,

 भउजाई केर चींथी चिकोटी कै बात कर।।

 जे आने क खनिस गड़बा आपै सकाय गा,

 नीकी हेर निंदा न खोटी कै बात कर।।

 बलार के गरे मां घंटी न बांध हंस

 पिंजरा बंद मिठ्ठू चित्रकोटी कै बात कर।। 

 हेमराज हंस भेंड़ा मैहर मप्र ९५७५२८७४९०

गुरुवार, 30 जून 2016

बघेली लोक साहित्य

बघेली लोक साहित्य 

जब से मूड़े मा कउआ बइठ है। 
अशगुन लये बऊआ बइठ है। । 

 इंदिरा आवास कै क़िस्त मिली ही 
वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है। । 

पर साल चार थे दाना नहीं भा 
औ सेंदुर रुपया लये नउआ बइठ है। 
 
छै महिना से मजूरी नहीं मिली 
वा कखरी मा दाबे झउआ बइठ है। । 

उइ कहा थें देस भ्रष्टाचार मुक्त है 
कुर्सी मा जहां देखा तहां खउआ बइठ है। 
 
गरीबी से बोलिआय का अंदाज अलग है 
उई हंस का बताउथे भतखउआ बइठ है। । 

हेमराज हंस ===9575287490     

जब से मूड़े मा कउआ बइठ है। हेमराज हंस ===9575287490

बघेली लोक साहित्य 

जब से मूड़े मा कउआ बइठ है। 
अशगुन लये बऊआ बइठ है। । 
 
 इंदिरा आवास कै क़िस्त मिली ही 
वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है। 
 
पर साल चार थे दाना नहीं भा 
औ सेंदुर रुपया लये नउआ बइठ है। 
 
छै महिना से मजूरी नहीं मिली 
वा कखरी मा दाबे झउआ बइठ है। । 
 
उइ कहा थें देस भ्रष्टाचार मुक्त है 
कुर्सी मा जहां देखा तहां खउआ बइठ है। । 
 
गरीबी से बोलिआय का अंदाज अलग है 
उई हंस का बताउथे भतखउआ बइठ है। । 
हेमराज हंस ===9575287490     

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

baghelipoem ''हँस ''बइठ हें भेंड़ा भिण्ड बताउथें

बघेली 
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा। 
सुन्दर कानी कबरी हिबै मोबाइल मा। । 

क्याखर कासे प्यार की बातैं होती हैं 
दबी मुदी औ तबरी हिबै  मोबाइल मा। । 

विस्वामित्र मिसकॉल देख बिदुराय लगें 
अहा !मेनका परी हिबै  मोबाइल मा। । 

नई सदी के हमूं पांच अपराधी हन 
जाति गीध कै मरी हिबै  मोबाइल मा। । 

कोउ हल्लो कहिस कि आँखी भींज गयीं 
कहू कै खुश खबरी हिबै  मोबाइल मा। । 

अब ता दण्डकवन से बातें होती हैं 
श्री राम कहिन कि शबरी हिबै  मोबाइल मा। । 

''हँस ''बइठ हें भेंड़ा भिण्ड बताउथें 
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल मा। 
हेमराज हँस 

सोमवार, 23 नवंबर 2015

bagheli poem गरीबन के निता सब मनसेरुआ हें।

b

गरीबन के निता सब मनसेरुआ हें। 
बिचारे के खटिआ मा तीन ठे पेरूआ हें। । 
चाह रजन्सी रही होय य की लोकतंत्र 
मंहगाई गुंडई पकरिन ओकर चेरुआ हें। । 
 वा सदमा से भनेजिन बिहोस परी ही 
मामा कहा थें संच मा भइने बछेरुआ हें। । 
जब से महँग भै दार ता लपटा खई थे
उनखे  निता चुकंदर हमहीं रेरुआ हें । । 
उनखे सुची रास मा गउर धरी ही 
सत्तर साल से हंस के गोहूँ मा गेरुआ हें। । 
हेमराज हंस  

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

पै न कह्या हरामी भाई। ।

बघेली गजल 

ठोंका तुहू सलामी भाई। 
भले देखा थी खामी भाई। । 
केत्तव मूसर जबर होय पै 
वमै लगा थी सामी भाई। । 
सत्तर साल के लोक तंत्र का 
ग्यारै लाग बेरामी भाई। । 
एक कइ पचके हें गलुआ 
औ एक कइ ललामी भाई। । 
पता नही धौ घुसे हें केत्ते 
बड़ी जबर ही वामी भाई। । 
केखर केखर मुँह सी देहा 
सबतर ही बदलामी भाई। । 
भले खा थें उई हराम का 
पै न कह्या हरामी भाई। । 
'हंस 'करय अनरीत अम्मलक 
भरा हुंकारी हामी भाई। । 

हेमराज हंस --9575287490 

शुक्रवार, 5 जून 2015

baghejiउई शबरी के बेर का अमचुर बना के बेंचा थें।

बघेली गजल 

उई शबरी के बेर का अमचुर बना के बेंचा थें। 
सरासरीहन लबरी का फुर बना के बेंचा थें। । 
जे जीते के बाद हार गें जनता के विश्वास से 
अइसा कायर का बहादुर बना के बेंचा थें। । 
हेमराज हंस 9575287490   

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,

बघेली गजल 

साहित्त फुर कहा थै लबरी नही कहै। 
अपना के सत्ता अस जबरी नही कहै। । 
साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,
साहित्त खउटही का कबरी नहीं कहै। ।  
''राम'' के दरबार तक वाखर धाक ही ,
पै कबहू अपने मुंह से ''शबरी''नही कहै। । 
उई घायल से पूंछा थें कि कइसा लगा थै 
अस्पताल पहुचामै का खबरी नहीं कहै। । 
रूपियन के निता कबहू कविता नही लिखै  
हंस काही  कोउ दुइ नम्बरी  नहीं कहै। । 

हेमराज हंस --9575287490 

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

वा गरीब कै बड़मंशी टोरिया कहाँ ही। ।

बारजा बचा है 

बारजा      बचा    है     ओरिया    कहाँ   ही। 
चंदा   मामा    दूध कै   खोरिया    कहाँ ही। । 
राशन कार्ड   हलाबत   चली  गै  तिजिया 
कोटा   बाली   चीनी   कै  बोरिया कहाँ ही। । 
नोकरी  लगबामैं  का कहि  के लई गया तै 
वा  गरीब  कै  बड़मंशी  टोरिया  कहाँ ही। । 
सार अबाही ग्यरमा खूटा औ अम्मा का पहिला सुर 
कामधेनु   कै   पामर  वा  कलोरिया  कहाँ ही। । 
बे पनही   उतारे   मुड़हर   तक   चला  गा 
गाॅव   के   अदब   कै  ओसरिया कहाँ ही। । 
अश्व मेघ   जग्ग   कै  भभूत  परी  ही 
''लिंकन ''के लोकतंत्र कै अजोरिया कहाँ ही। । 
    हेमराज हंस - 9575287490 

शनिवार, 7 मार्च 2015

गुड़ देखाय के गूड़ा कै बात करा थें।

बघेली  गजल 

गुड़  देखाय के गूड़ा कै बात करा थें। 
मूड़ घोटाय के जूडा  कै बात करा थें।।
कहां से उनखे देहें का खून खऊलय,
चूड़ी पहिर के चूड़ा कै बात करा थें। । 
बपुरी  देस   भक्ती  बिहोस परी  ही ,
चाबिस ही बीछी  सूंडा  कै बात करा थें। । 
घोटालन का घुरबा लगा है भोपाल मा ,
चौपालन से बहरी कूड़ा कै बात करा थें। । 
खेत -खरिहान   बेचै  कै  तयारी   ही,
बखरी के बखारी से पूड़ा कै बात करा थें। । 
बहिगै    सत्ता के    धारा     मा    ३७० ,
नाटक मा मदारी जमूरा कै बात करा थें। । 

हेमराज 
    

बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।।

जेखे  आंखर  बने  हें,  जनता  के स्वर दूत। बंदन  है  जयराम जी, बिन्ध्य  के बानी पूत।।  सादर  ही  शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...