बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,: बघेली गजल साहित्त फुर कहा थै लबरी नही कहै। अपना के सत्ता अस जबरी नही कहै। । साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है , साहित्त खउटही ...
साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,
बघेली गजल
साहित्त फुर कहा थै लबरी नही कहै।
अपना के सत्ता अस जबरी नही कहै। ।
साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,
साहित्त खउटही का कबरी नहीं कहै। ।
''राम'' के दरबार तक वाखर धाक ही ,
पै कबहू अपने मुंह से ''शबरी''नही कहै। ।
उई घायल से पूंछा थें कि कइसा लगा थै
अस्पताल पहुचामै का खबरी नहीं कहै। ।
रूपियन के निता कबहू कविता नही लिखै
हंस काही कोउ दुइ नम्बरी नहीं कहै। ।
हेमराज हंस --9575287490
गुरुवार, 23 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA: ज्याखर लड़िका ढंग से पढ़ि न सका स्कूल।
BAGHELI SAHITYA: ज्याखर लड़िका ढंग से पढ़ि न सका स्कूल।: दोहा ज्याखर लड़िका ढंग से पढ़ि न सका स्कूल। वा तोहरे अत्याचार का सकी न हरबी भूल। । हेमराज हंस ----9575287490
BAGHELI SAHITYA: अहिल्या पुनः पाषाण होना चाहती है।
BAGHELI SAHITYA: अहिल्या पुनः पाषाण होना चाहती है।: ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, मुक्तक लोक मुक्तक मेला --45 --शब्द मुक्तक...
BAGHELI SAHITYA: दोहा शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार। ईश्वर को लेन...
BAGHELI SAHITYA: दोहा शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार। ईश्वर को लेन...: दोहा शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार। ईश्वर को लेना पड़ा परसुराम अवतार। । हेमराज हंस
मंगलवार, 21 अप्रैल 2015
सोमवार, 20 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम तोहरे गर का हार बन्यन पै तुम गर फांसी अस।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम तोहरे गर का हार बन्यन पै तुम गर फांसी अस।: बघेली हम तोहरे गर का हार बन्यन पै तुम गर फांसी अस। तुम राहू केतू बन बइठया औ हम पुनमासी अस। । हेमराज हंस
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनही दइ द्या ठेव सुरिज का दउरै न सरसेट के। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनही दइ द्या ठेव सुरिज का दउरै न सरसेट के। ।: मुक्तक दरबारन मा चर्चा ही कम्प्यूटर इंटरनेट के। औ खेतन मा मरै किसनमा फंदा गरे लपेट के। । केत्तव निकहा बीज होय पै पनपै नही छहेल...
उनही दइ द्या ठेव सुरिज का दउरै न सरसेट के। ।
मुक्तक
दरबारन मा चर्चा ही कम्प्यूटर इंटरनेट के।
औ खेतन मा मरै किसनमा फंदा गरे लपेट के। ।
केत्तव निकहा बीज होय पै पनपै नही छहेला मा
उनही दइ द्या ठेव सुरिज का दउरै न सरसेट के। ।
हेमराज हंस -----------9575287490
हम तोहरे गर का हार बन्यन पै तुम गर फांसी अस।
बघेली
हम तोहरे गर का हार बन्यन पै तुम गर फांसी अस।
तुम राहू केतू बन बइठया औ हम पुनमासी अस। ।
हेमराज हंस
रविवार, 19 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अपनेन देस के माटी मा हम कब तक रहब अछूत। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अपनेन देस के माटी मा हम कब तक रहब अछूत। ।: अछूत जुगन बीति गें पुरखन पीढ़ी पियत य माहुर घूंट। अपनेन देस के माटी मा हम कब तक रहब अछूत। । एक दइव की हम सन्तानै कहै पुरान औ व...
अपनेन देस के माटी मा हम कब तक रहब अछूत। ।
अछूत
जुगन बीति गें पुरखन पीढ़ी पियत य माहुर घूंट।
अपनेन देस के माटी मा हम कब तक रहब अछूत। ।
एक दइव की हम सन्तानै कहै पुरान औ वेद।
तब काहे का छुआ छूत औ जातपांत का खेद।।
इसुर ता सब के बांधे है लाल रंग का सूत।
अपनेन देस के…… ………
हमिन रची देवालय का औ मूरत हमिन बनाई।
औ जब पूजा करय जई ता भीतर घुसै न पाई। ।
हमरे पुजहाई टठिया का पंडित कहैं अछूत।
अपनेन देस के..............
रामराज भें उदय राज ता खूब मचाया हल्ला।
पै समाज के या कुरीत का किहा न एकव तल्ला। ।
कइसा रुकी धरम परिवर्तन या तोहरे करतूत।
अपनेन देस के…… ………
धरम कै चिन्ता ही ता पहिले छुआछूत का म्याटा।
आन कै फूली पाछू झांक्या देखा आपन टयाँटा।।
''ईश्वर अंसही कछु नहि भेदा ''तुलसी कै कहनूत। ।
अपनेन देस के माटी मा हम कब तक रहब अछूत। ।
हेमराज हंस ----9575287490
शनिवार, 18 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पेटहा जब मुखिया बना लुक लुक के खुब खाय।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पेटहा जब मुखिया बना लुक लुक के खुब खाय।: दोहा पेटहा जब मुखिया बना लुक लुक के खुब खाय। अस्पताल हिंठै लगा तउ न मन पछताय। । हेमराज हंस ----
पेटहा जब मुखिया बना लुक लुक के खुब खाय।
दोहा
पेटहा जब मुखिया बना लुक लुक के खुब खाय।
अस्पताल हिंठै लगा तउ न मन पछताय। ।
हेमराज हंस ----
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मुंह माही महिपर धरे मन मा भरे कुनैन।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : मुंह माही महिपर धरे मन मा भरे कुनैन।: दोहा मुंह माही महिपर धरे मन मा भरे कुनैन। अहित करै जे आन का ओही सुक्ख न चैन। । हेमराज हंस --- ...
मुंह माही महिपर धरे मन मा भरे कुनैन।
दोहा
मुंह माही महिपर धरे मन मा भरे कुनैन।
अहित करै जे आन का ओही सुक्ख न चैन। ।
हेमराज हंस ---
गुरुवार, 16 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वमै हमरे देस का चरित्र चपा है। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वमै हमरे देस का चरित्र चपा है। ।: मुक्तक उनही जातिवाद मा खासा नफा है। ओहिन मा सत्ता का सुदिन छपा है। । जातिवाद देस मा देवारी के परीबा अस वमै हमरे देस का चरित्र ...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बइरी का कहत बाप चौराहा मा ठाढ़ है। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बइरी का कहत बाप चौराहा मा ठाढ़ है। ।: मुक्तक अपना का छाँड़ा पाप चौराहा मा ठाढ़ है। बइरी का कहत बाप चौराहा मा ठाढ़ है। । कुरसी कै भूंख मुखर्जी का भूल गै अब ह...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : श्रम सीकर की टीस से होता सत्यानाश। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : श्रम सीकर की टीस से होता सत्यानाश। ।: दोहा आंसू आह कराह वेदना औ पीरा संत्रास। श्रम सीकर की टीस से होता सत्यानाश। । हेमराज हंस
श्रम सीकर की टीस से होता सत्यानाश। ।
दोहा
आंसू आह कराह वेदना औ पीरा संत्रास।श्रम सीकर की टीस से होता सत्यानाश। ।
हेमराज हंस
बइरी का कहत बाप चौराहा मा ठाढ़ है। ।
मुक्तक
अपना का छाँड़ा पाप चौराहा मा ठाढ़ है।
बइरी का कहत बाप चौराहा मा ठाढ़ है। ।
कुरसी कै भूंख मुखर्जी का भूल गै
अब हाथ मल्हा आप वा चौराहा मा ठाढ है। ।
हेमराज हंस -
बुधवार, 15 अप्रैल 2015
वमै हमरे देस का चरित्र चपा है। ।
मुक्तक
उनही जातिवाद मा खासा नफा है।
ओहिन मा सत्ता का सुदिन छपा है। ।
जातिवाद देस मा देवारी के परीबा अस
वमै हमरे देस का चरित्र चपा है। ।
हेमराज हंस -9575287490
मंगलवार, 14 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उई हालचाल पूंछा थें कालर पकड़ के। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उई हालचाल पूंछा थें कालर पकड़ के। ।: मुक्तक बलफ फियुज होइ गा झालर पकड़ के। उई हालचाल पूंछा थें कालर पकड़ के। । सुदामा के चाउर का उई का जानै जे बचपन से खेलिन...
उई हालचाल पूंछा थें कालर पकड़ के। ।
मुक्तक
बलफ फियुज होइ गा झालर पकड़ के।
उई हालचाल पूंछा थें कालर पकड़ के। ।
सुदामा के चाउर का उई का जानै
जे बचपन से खेलिन हीं डालर पकड़ के। ।
हेमराज हंस - -9575287490
सोमवार, 13 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमही जना थै वा नशा मा है। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमही जना थै वा नशा मा है। ।: मुक्तक फलाने कहा थें निकही दशा मा है। हमही जना थै वा नशा मा है। । हेन पीरा के फसल कै लगान लागा थी किसानन से पूँछा केतू ...
हमही जना थै वा नशा मा है। ।
मुक्तक
फलाने कहा थें निकही दशा मा है।
हमही जना थै वा नशा मा है। ।
हेन पीरा के फसल कै लगान लागा थी
किसानन से पूँछा केतू दुर्दशा मा है। ।
हेमराज हंस -------9575287490
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वा गरीब कै बड़मंशी टोरिया कहाँ ही। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : वा गरीब कै बड़मंशी टोरिया कहाँ ही। ।: बारजा बचा है बारजा बचा है ओरिया कहाँ ही। चंदा मामा दूध कै खोरिया कहाँ ही। । राशन कार्ड हलाबत चली ...
वा गरीब कै बड़मंशी टोरिया कहाँ ही। ।
बारजा बचा है
बारजा बचा है ओरिया कहाँ ही।
चंदा मामा दूध कै खोरिया कहाँ ही। ।
राशन कार्ड हलाबत चली गै तिजिया
कोटा बाली चीनी कै बोरिया कहाँ ही। ।
नोकरी लगबामैं का कहि के लई गया तै
वा गरीब कै बड़मंशी टोरिया कहाँ ही। ।
सार अबाही ग्यरमा खूटा औ अम्मा का पहिला सुर
कामधेनु कै पामर वा कलोरिया कहाँ ही। ।
बे पनही उतारे मुड़हर तक चला गा
गाॅव के अदब कै ओसरिया कहाँ ही। ।
अश्व मेघ जग्ग कै भभूत परी ही
''लिंकन ''के लोकतंत्र कै अजोरिया कहाँ ही। ।
हेमराज हंस - 9575287490
रविवार, 12 अप्रैल 2015
लगा थै एहिन से फलाने उघार है। ।
मुक्तक
उई कहा थें व्यबस्था मा सुधार है।
लगा थै एहिन से फलाने उघार है। ।
नाक मा रुमाल धरे बाटा थें मावजा
जनता के ऊपर उनखर उपकार है। ।
हेमराज हंस -9575287490
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।: मुक्तक हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै। पता नही तन मा धौ कउन रोग रहा थै। । तन से हें '' बुद्ध '' मन से ...
हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।
मुक्तक
हम फुर कही थे ता कान उनखर बहा थै।
पता नही तन मा धौ कउन रोग रहा थै। ।
तन से हें '' बुद्ध '' मन से बहेलिया
पंछी अस पीरा या लोकतंत्र सहा थै। ।
हेमराज हंस 9575287490
शनिवार, 11 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।: मुक्तक भईस अबै बिआन नही उई सोंठ ख़रीदा थे। लिपिस्टिक लगामै का ओठ ख़रीदा थे। । दुनिया के सबसे बड़े लोक तंत्र मा उई एकठे '&#...
उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।
मुक्तक
भईस अबै बिआन नही उई सोंठ ख़रीदा थे।
लिपिस्टिक लगामै का ओठ ख़रीदा थे। ।
दुनिया के सबसे बड़े लोक तंत्र मा
उई एकठे ''बोतल ''मा वोट ख़रीदा थे। ।
हेमराज हंस
गुरुवार, 9 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनही गुजरात का गरबा जनाथै। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : उनही गुजरात का गरबा जनाथै। ।: बघेली मुक्तक "फूल " हमही जरबा जनाथै। बिन जंगला केर अरबा जनाथै। । कश्मीर मा आतंकी खून कै होरी खेला थें उ...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : गिलहरी के तन कै धारी देख ल्या। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : गिलहरी के तन कै धारी देख ल्या। ।: मुक्तक तुमहूँ अपने हाथ कै चिन्हारी देख ल्या। पुन भाई चारा काटें बाली आरी देख ल्या। । नीक काम करिहा ता वा खून मा रही '&#...
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरेन लगिगा हरिजन एक्ट। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरेन लगिगा हरिजन एक्ट। ।: मुक्तक काल्ह बतामै गंगा भटट। मचा साँझ के लठ्ठम लठ्ठ। । हम होन गयन करय समझौता हमरेन लगिगा हरिजन एक्ट। । हेमराज हंस
हमरेन लगिगा हरिजन एक्ट। ।
मुक्तक
काल्ह बतामै गंगा भटट।
मचा साँझ के लठ्ठम लठ्ठ। ।
हम होन गयन करय समझौता
हमरेन लगिगा हरिजन एक्ट। ।
हेमराज हंस
बुधवार, 8 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : गिलहरी के तन कै धारी देख ल्या। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : गिलहरी के तन कै धारी देख ल्या। ।: मुक्तक तुमहूँ अपने हाथ कै चिन्हारी देख ल्या। पुन भाई चारा काटें बाली आरी देख ल्या। । नीक काम करिहा ता वा खून मा रही '&#...
जइसा भूखा कथा सुनै औ चित्त धरा परसादी मा। ।
मुक्तक
जनता देख रही ही नाटक राजनीत के खादी मा ।
नही जना तै एकव आतर जुर्मी औ फरियादी मा।।
उनखर धरना अउर प्रदर्शन देख के अइसा लागा थै
जइसा भूखा कथा सुनै औ चित्त धरा परसादी मा। ।
हेमराज हंस
गिलहरी के तन कै धारी देख ल्या। ।
मुक्तक
तुमहूँ अपने हाथ कै चिन्हारी देख ल्या।
पुन भाई चारा काटें बाली आरी देख ल्या। ।
नीक काम करिहा ता वा खून मा रही
''गिलहरी'' के तन कै धारी देख ल्या। ।
हेमराज हंस
मंगलवार, 7 अप्रैल 2015
पढ़इया स्कूल छूरा लइके आउ थें।
मुक्तक
पढ़इया स्कूल छूरा लइके आउ थें।
हम उनसे पूंछ्यन ता कारन बताऊ थें। ।
पढ़ाई के साथ साथ सुरक्षव जरुरी है
आज काल्ह सर जी पी के पढ़ाउ थें। ।
हेमराज हंस
सोमवार, 6 अप्रैल 2015
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : ''गौतम ''से जाके कहि द्या उच्छिन्न न करैं। ।
BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : ''गौतम ''से जाके कहि द्या उच्छिन्न न करैं। ।: मुक्तक चेतना के देह का उई झुन्न न करैं। हाथ जरै ज्यमा अइसा पुन्न न करैं। । इन्द्र कै बस्यार ही घ...
''गौतम ''से जाके कहि द्या उच्छिन्न न करैं। ।
मुक्तक
चेतना के देह का उई झुन्न न करैं।
हाथ जरै ज्यमा अइसा पुन्न न करैं। ।
इन्द्र कै बस्यार ही घर के नगीच मा
''गौतम ''से जाके कहि द्या उच्छिन्न न करैं। ।
हेमराज हंस
रविवार, 5 अप्रैल 2015
शनीचर का पता अढ़ैया से पूछत्या है।
मुक्तक
शांति का पाठ लड़इया से पूछत्या है।
शनीचर का पता अढ़ैया से पूछत्या है। ।
भोपाल से चला औ चौपाल मा हेराय गा
विकास का पता मड़ैया से पूछत्या है।।
हेमराज हंस
शनिवार, 4 अप्रैल 2015
घर बरिगा ता बरिगा हम दमकल ता देख्यन।।
मुक्तक
पिआसा परा हम हेन नल का देख्यन।
ऊसर मा बाइत करत हल का देख्यन। ।
आगी लगाय के अब कहा थें फलाने
घर बरिगा ता बरिगा हम दमकल ता देख्यन।।
हेमराज हंस
जे आँधर बरदा बेँच दिहिन काजर आंज के। ।
मुक्तक
''नल तरंग''बजाउ थें बजबइया झांझ के।
देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के। ।
उनही ईमानदार कै उपाधि दीन गै
जे आँधर बरदा बेँच दिहिन काजर आंज के। ।
हेमराज हंस
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