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गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

कविता 

सुविधाएं हैं दूर दूर सब श्रम सीकर के योगी से। 
कह देना संदेश हमारा ''शंकर गुहा नियोगी से। । 

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श्री शिवशंकर सरस जी

  श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास।  उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।।  सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर।  रिमही मा हें सरस जी , जस पा...