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रविवार, 19 अप्रैल 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अपनेन देस के माटी मा हम कब तक रहब अछूत। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अपनेन देस के माटी मा हम कब तक रहब अछूत। ।: अछूत  जुगन बीति गें पुरखन पीढ़ी पियत य माहुर घूंट।  अपनेन देस के माटी मा हम कब तक रहब अछूत। ।      एक दइव की हम सन्तानै कहै पुरान औ व...

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कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...