यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : गिलहरी के तन कै धारी देख ल्या। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : गिलहरी के तन कै धारी देख ल्या। ।: मुक्तक  तुमहूँ  अपने हाथ  कै चिन्हारी  देख ल्या।  पुन भाई चारा काटें बाली आरी देख ल्या। ।  नीक काम करिहा ता वा खून मा रही  '&#...

कोई टिप्पणी नहीं:

पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।।

 जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें।  पबरित   परसाद    भंडासराध   कइ  रहे  हें।।  उनहीं   पकड़  के  सीधे  सूली  मा  टांग  द्या  हमरे  धर...