मुक्तक
अपना का छाँड़ा पाप चौराहा मा ठाढ़ है।
बइरी का कहत बाप चौराहा मा ठाढ़ है। ।
कुरसी कै भूंख मुखर्जी का भूल गै
अब हाथ मल्हा आप वा चौराहा मा ठाढ है। ।
हेमराज हंस -
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...
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