मुक्तक
पढ़इया स्कूल छूरा लइके आउ थें।
हम उनसे पूंछ्यन ता कारन बताऊ थें। ।
पढ़ाई के साथ साथ सुरक्षव जरुरी है
आज काल्ह सर जी पी के पढ़ाउ थें। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...
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