मुक्तक
''नल तरंग''बजाउ थें बजबइया झांझ के।
देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के। ।
उनही ईमानदार कै उपाधि दीन गै
जे आँधर बरदा बेँच दिहिन काजर आंज के। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें। पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।। उनहीं पकड़ के सीधे सूली मा टांग द्या हमरे धर...
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