यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 4 अप्रैल 2015

जे आँधर बरदा बेँच दिहिन काजर आंज के। ।

मुक्तक 

''नल तरंग''बजाउ थें बजबइया झांझ के। 
देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के। । 
उनही   ईमानदार   कै उपाधि   दीन   गै  
जे आँधर बरदा बेँच दिहिन काजर आंज के। । 
                            हेमराज हंस 

कोई टिप्पणी नहीं:

श्री शिवशंकर सरस जी

  श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास।  उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।।  सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर।  रिमही मा हें सरस जी , जस पा...