यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 30 मार्च 2015

पता चला तार मा कटिआ फसाउथें। ।

मुक्तक 

उई अच्छे दिन का घटिआ बताउथें। 
बुलन्द दरबाजा का टटिआ बताउथें। । 
जे बात करत रहें हैलोजन के अजोर कै ,
पता चला तार मा कटिआ फसाउथें। । 
                                हेमराज हंस 

कोई टिप्पणी नहीं:

श्री शिवशंकर सरस जी

  श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास।  उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।।  सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर।  रिमही मा हें सरस जी , जस पा...