बघेली मुक्तक
सत्ता कबहू गभुआर नही होय।
जइसा पूर सत्त अख़बार नही होय। ।
सरमन सब दिन मारे गे हें शब्द
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास। उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।। सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर। रिमही मा हें सरस जी , जस पा...
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