मुक्तक
चला फलाने तरबा चाटी।
औ पुन बइठे नक्क्स काटी। ।
चापलूस के परम्परा कै
सदियन से आपन परिपाटी। ।
हेमराज http'//baghelisahitya
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास। उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।। सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर। रिमही मा हें सरस जी , जस पा...
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