बघेली मुक्तक
भुँइ हमार मंदिर आय , भूत का चउरा न होय।
वा पुरखन कै थाती ,धन्नासेठ का कउरा न होय। ।
किसानन का धरती माता से कम नही,
लीलारे का चन्दन आय देंह का खउरा न होय। ।
हेमराज
हेमराज
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास। उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।। सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर। रिमही मा हें सरस जी , जस पा...
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