बघेली मुक्तक
भुँइ हमार मंदिर आय , भूत का चउरा न होय।
वा पुरखन कै थाती ,धन्नासेठ का कउरा न होय। ।
किसानन का धरती माता से कम नही,
लीलारे का चन्दन आय देंह का खउरा न होय। ।
हेमराज
हेमराज
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें। पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।। उनहीं पकड़ के सीधे सूली मा टांग द्या हमरे धर...
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