उइ बात बड़ी ठोस औ प्रमानिक बताऊ थें।
सामाजिक जहर का टानिक बताऊ थें।।
जब उनही देखाय लाग दाई का माइक
ता उइ घोर नास्तिक का पुरानिक बताऊ थें। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
उइ बात बड़ी ठोस औ प्रमानिक बताऊ थें।
सामाजिक जहर का टानिक बताऊ थें।।
जब उनही देखाय लाग दाई का माइक
ता उइ घोर नास्तिक का पुरानिक बताऊ थें। ।
हेमराज हंस
कोऊ सड़क कोउ पट्टी खाय गा।
कोऊ बोरा कोऊ कट्टी खाय गा।।
केत्ती घिनही भूंख बढी मोरे देस मा
कोऊ शौचालय सहित टट्टी खाय गा।। 🌻🌻🌻🌻🌻
वा बड़ा हुसिआर है नारा बेचा थै।
चोरन का सरदार है पै तारा बेंचा थै।।
हम ओखे शील सोहबत का प्रनाम करी थे वा भाई चारा काटैं बाला आरा बेंचा थै।।
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जेखे आंखर बने हें, जनता के स्वर दूत। बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।। सादर ही शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...