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मंगलवार, 9 अप्रैल 2024

नास्तिक का पुरानिक बताऊ थें

 उइ बात बड़ी ठोस औ प्रमानिक बताऊ  थें। 

सामाजिक   जहर   का   टानिक   बताऊ थें।। 

जब उनही  देखाय  लाग  दाई  का  माइक  

ता उइ घोर   नास्तिक का  पुरानिक बताऊ थें। ।

हेमराज हंस 

रविवार, 14 अगस्त 2022

बघेली मुक्तक

जानी थे सुमर आय पै बराह मानी थे। 
काहू कै नमूंजी करब गुनाह मानी थे।। 
गंगा कबेरी रेबा त मंत्र आंय नहात के 
हम बांस बिरबा तक का बाह मनीथे।। 

रविवार, 9 अगस्त 2020

जो भउजाई बांख न होय

 
भाई  अस  दूसर  नही  जो  भउजाई  बांख  न  होय। 
बाउर अस है वा समाज जेखर आपन भाख न होय। । 
देस कै   जनता  नेम  प्रेम  भाई चारा  से  रहि  तो  लेय 
जो हमरे देस मा नफरत कै कारी  अँधिआरी पाख न होय। ।

शनिवार, 12 अक्तूबर 2019

मुक्तक

कोऊ सड़क कोउ पट्टी खाय गा।
कोऊ बोरा कोऊ कट्टी खाय गा।।
केत्ती घिनही भूंख बढी मोरे देस मा
कोऊ शौचालय सहित टट्टी खाय गा।।            🌻🌻🌻🌻🌻
वा बड़ा हुसिआर है नारा बेचा थै
चोरन का सरदार है पै तारा बेंचा थै
हम ओखशील सोहबत का प्रनाम करी थे वा भाई चारा काटैं बाला आरा बेंचा थै
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

सोमवार, 27 जून 2016

धौं पुन आपन धइना देखा।।

 बघेली लोक साहित्य
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पहिले भइलो अईना  देखा। 
धौं  पुन आपन धइना  देखा।। 
चश्मा केर पोंछि  के धूधुर  
जनता केर तरइना देखा। । 
हेमराज हंस 

शनिवार, 9 जनवरी 2016

दसइयां पिछ्ले चुनाव कै अद्धी गिनाउथै। । हेमराज हँस

                  बघेली मुक्तक 
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कोऊ आपन उपलब्धी गिनाउथै। 
कोउ आपन राज गददी गिनाउथै। । 
रटे है वा मुखागर की को को रात के आबा 
दसइयां पिछ्ले चुनाव कै अद्धी गिनाउथै। । 
हेमराज हँस 

मंगलवार, 5 जनवरी 2016

BAGHELI-कब तक होई फुरा जमोखी। ।

केतू भाई अबै समोखी। 
कब तक होई फुरा जमोखी। । 
उइं मारय हमरे जमान का 
औ हम बुद्ध कै शिक्षा घोखी। । 
हेमराज हंस 

सोमवार, 21 दिसंबर 2015

bagheli sahitya पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। ।

गरीबन का कउनव दल नही होय। 
ओखे समिस्या का हल नही होय। । 
वा चाह ज्याखर जिन्दावाद ब्वालय 
पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। । 
हेमराज हंस

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

BAGHEKI MUKTAK

टी. वी मा सभ्भदारन का नमूना देख ल्या। 
जुज्बी नही दोउ जूना देख ल्या।  । 
जउन अड़सठ साल से लगाबा जा रहा है 
उनखे बेलहरा का चूना देख ल्या। । 
हेमराज हंस 

रविवार, 6 सितंबर 2015

बघेली नही ता अब वा ओरहन देई पं दीनदयाल से। ।

बघेली मुक्तक 

आबा भाई आँसू पोंछी पचके पचके गाल से।  
नही ता अब वा ओरहन देई पं दीनदयाल से। ।
टूट बडेरी अस जिंदगानी पाछू बइठ समाज के 
अजुअव ओढ़काबा है  टटबा जेखे सत्तर साल से। । 
हेमराज हंस   

BAGHELI वा लोकतंत्र का मंदिर औ विश्वास आय।

बघेली मुक्तक 

वा लोकतंत्र का मंदिर औ विश्वास आय। 
समाज का चित्र औ वहै इतिहास आय। । 
ओका दूध से भरा चाह दारू से 
आपन सदन त एक गिलास आय। । 
हेमराज हंस 

सोमवार, 24 अगस्त 2015

नाच रही ही दुलदुल घोड़ी

नाच रही ही दुलदुल घोड़ी 

नाच रही ही दुल दुल घोड़ी। 
मँहगाई गुंडई कै जोड़ी। । 
अच्छे दिन केत्ती दूरी हें 
पूछ रही पापा से मोड़ी। । 
हेमराज हंस  

शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । हेमराज हंस --9575287490

मुक्तक 

दादू उइ कुहरा का धुँआ बताउथें। 
हुलकी का मयारू फुआ बताउथें। । 
जब हप्ता बसूली मा झंझी नही मिली 
ता दहला पकड़ का जुआ बताउथें। । 
हेमराज हंस --9575287490 

बुधवार, 22 जुलाई 2015

मंगलवार, 21 जुलाई 2015

bagheli kavitaहमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा।

मुक्तक 

हमी जातिवाद का खाँचा न देखाबा। 
जनता का नफरत का तमाचा न देखाबा। । 
य देस देखे बइठ है महाभारत के युयुत्स का 
अपने वफादारी का साँचा न देखबा। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

सोमवार, 29 जून 2015

तुलसी के बगिया मा नकटी कहां से आय गै।

मुक्तक 

तुलसी के बगिया मा नकटी कहां से आय गै। 
यतना पचामै कै शक्ती कहाँ से आय गै  । । 
गोकरन के सभा मा धुंधकारी कै धाक ही 
सत्ता के व्याकरण मा विभक्ति कहाँ से आय गै। । 
हेमराज हंस ----9575287490 

नकटी--एक तरह की झाड़ी 

रविवार, 28 जून 2015

तोहरे प्रेम के चिन्हारी अस।

तोहरे प्रेम के चिन्हारी अस। 


गउद औ पइनारी अस। । 
सरा थी आंसू मा 
जीवन के अमारी अस। । 
हेमराज हंस 

सोमवार, 11 मई 2015

आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।

मुक्तक 

अनमन अनमन सयान बइठ हे। 
टन मन पीरा के बयान बइठ हे। । 
दोउ जून जुड़े जिव रोटी नही मिलै 
आंसू पी पी के अघान बइठ हे। । 
       हेमराज हंस 

शनिवार, 2 मई 2015

आपन सहज बघेली आय।

बघेली 

आपन सहज बघेली आय। 
गाँव के क्वारा कै खेली आय। । 
विंध्य हबै ज्याखर अहिवात 
ऋषि अगस्त्य कै चेली आय। । 
हेमराज हंस --9575287490 

रविवार, 5 अप्रैल 2015

शनीचर का पता अढ़ैया से पूछत्या है।

मुक्तक 

शांति का पाठ लड़इया से पूछत्या है। 
शनीचर का पता अढ़ैया से पूछत्या है। । 
भोपाल से चला औ चौपाल मा हेराय गा 
विकास का पता मड़ैया से पूछत्या है।।
   हेमराज हंस  

बंदन है जयराम जी, बिन्ध्य के बानी पूत।।

जेखे  आंखर  बने  हें,  जनता  के स्वर दूत। बंदन  है  जयराम जी, बिन्ध्य  के बानी पूत।।  सादर  ही  शुभ कामना बरिस गाँठ के हेत। करत रहै लेखनी सद...