मुक्तक
अनमन अनमन सयान बइठ हे।
टन मन पीरा के बयान बइठ हे। ।
दोउ जून जुड़े जिव रोटी नही मिलै
आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।
हेमराज हंस
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
श्री शिवशंकर सरस जी, बोली के चउमास। उनसे छरकाहिल रहैं, तुक्क बाज बदमास।। सादर ही सुभकामना, जनम दिना कै मोर। रिमही मा हें सरस जी , जस पा...
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