मुक्तक
--------------------------------------------------
उई प्रगतिशील हैं तउ डाईन हेरा थें।
सूर्पनखा के नाक कै डिजाइन हेरा थें।।
जब से मड़ये तरी सारी से बोलियाँन हें
तब से उनही साढ़ूभाईन हेरा थें। ।
हेमराज हंस -----9575287490
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें