दोहा
दोहा
जो राष्ट्रीय पहिचान म कहू ठे होत कबीर।
तब न होत घिनहा यतर धरम केर उपचीर। ।
हेमराज हंस --9575287490
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें