कविता
शहर मा जाके बसय लाग जब से आपन गाँव --------------------------------------------------
दुर्घट भै बन बेर बिही औ जामुन पना अमावट।
राजनीत औ अपराधी अस सगली हाट मिलावट। ।
बेईमानन के बेईमानी मा डगमग जीवन नाव।
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान। जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।। आये नया बिहान शारदा के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके ...
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