मुक्तक
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देस से बड़ी पार्टी नही होय।
जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।
भले बिभीषन भक्त हें राम के
पै विश्व मा गद्दारन कै आरती नही होय। ।
हेमराज हंस ----------9575287490
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें। पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।। उनहीं पकड़ के सीधे सूली मा टांग द्या हमरे धर...
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