मुक्तक
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घिनहव का नागा नही कहीं येही बड़प्पन मान कहा।
फलाने कहा थें कि हमहीं अकबर महान कहा। ।
जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी
उई कहा थें हमू का भारत कै संतान कहा।।
हेमराज हंस
बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
जे मंदिर कै हमरे खंडित मरजाद कइ रहे हें। पबरित परसाद भंडासराध कइ रहे हें।। उनहीं पकड़ के सीधे सूली मा टांग द्या हमरे धर...
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