बघेली कविता
आजादी से अजुअव तक वइसै फटी ही कथरी।
भारत देस हमारै आय रहय का नहि आय बखरी। ।
देखा एक नजर जनतै पुन देखा आपन ठाठ।
दस दस मोटर तोहरे दुअरा हमरे टुटही खाट। ।
कब तक हम अपना का ढोई लहकै लाग है कन्धा।
तुहिन बताबा राजनीत अब सेवा आय कि धन्धा। ।
क्रमशः ------------------------
हेमराज हंस ----9575287490
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