यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 29 मई 2015

भारत देस हमारै आय रहय का नहि आय बखरी। ।

बघेली कविता 

आजादी से अजुअव तक वइसै फटी ही कथरी। 
भारत देस हमारै  आय रहय का नहि आय बखरी। । 
देखा एक नजर जनतै पुन देखा आपन ठाठ। 
दस दस मोटर तोहरे दुअरा हमरे टुटही खाट। । 
कब तक हम अपना का ढोई लहकै लाग है कन्धा। 
तुहिन बताबा राजनीत अब सेवा आय कि धन्धा। । 
   क्रमशः ------------------------
हेमराज हंस ----9575287490  

कीर्तिमान निश दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।

कीर्तिमान निश  दिन बढ़े, गढ़ें नये सोपान।  जन्म दिन की शुभकमना, आये नया बिहान।।  आये   नया   बिहान   शारदा   के प्रिय लालन । मैहर का हो आपके  ...