बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
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बघेली लोक साहित्य जब से मूड़े मा कउआ बइठ है। अशगुन लये बऊआ बइठ है। । इंदिरा आवास कै क़िस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ ...
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पहिले जब खड़े होकर लघु शंका करना निषिद्ध माना जाता था। तब की बात है।एक बालक खड़े होकर लघुशंका कर रहा था। गांव के एक बुजुर्ग ने देखा तो उसे...
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BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै... : बघेली कविता www.baghelisahitya.co...
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बघेली लोक साहित्य जब से मूड़े मा कउआ बइठ है। अशगुन लये बऊआ बइठ है। । इंदिरा आवास कै क़िस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ ...
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बघेली कविता www.baghelisahitya.com --------------------------------------------------------------------------------------------- शहर ...
छठ सातैं की भमरी देखा।
छठ सातैं की भमरी देखा। तोहसे या न थम्हरी देखा।। एक बाल्टी पानी खातिर उचत भरे कै जमरी देखा।। सउंज उतार रही तुलसी कै या गंधइ...
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