बघेली साहित्य -का संग्रह हास्य व्यंग कविता गीत ग़ज़ल दोहा मुक्तक छंद कुंडलिया
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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022
बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : चढ़य मूँड़ घर मा मालकिन का
बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : चढ़य मूँड़ घर मा मालकिन का : जात फलाने ******************* होइगै सड़क जब तात फलाने। जराथें तरबा लात फलाने।। को को ओखे ऊपर हींठा वा नहि पूंछय जात...
सोमवार, 19 दिसंबर 2022
राबन जब राजा बना,
राबन जब राजा बना, दीन्हिस बनै कनून।
जेखे टेक्स कै जर नहीं, वखार लइ ल्या खून।।
वखार लइ ल्या खून चली न कउनव वाठर।
जनता का ल्या चूस बचै बस केबल ढाठर।।
डिग्गी बज गय देस भरे मा गांवन गांवन।
गेट औ टटबा एक भाव सब द्याखै राबन।।
हेमराज हंस
सोमवार, 12 दिसंबर 2022
सरी ब्यबस्था गाँव कै,
सरी ब्यबस्था गाँव कै, लीन्हे ही बइठान।
ओखे ऊपर टेक्स का ,आबा है फरमान।।
आबा है फरमान बचै न कउनव जनता।
चाह मड़इया बखरी हो या कोलिया खन्ता।।
हंस कहिन अब उनहूँ का तो पलटी तकथा।
लाद रहें जे टेक्स गाँव के सरी ब्यबस्था। ।
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