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शनिवार, 30 मई 2015

जे कबहूँ खाइस नही रोटी भाइन साथ।

दोहा
जे कबहूँ खाइस नही रोटी भाइन साथ। 
ओखे हाथे मा हबै जगन्नाथ का भात। । 
हेमराज हंस -9575287490 

दोहा 

जे कबहूँ खाइस नही रोटी इन  

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बेउहर के भीती लिखा ''अति गरीब परिवार ''।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : बेउहर के भीती लिखा ''अति गरीब परिवार ''।: दोहा  बेउहर के भीती  लिखा ''अति गरीब परिवार ''।      पानी पानी होइ रही बाँच बाँच सरकार।  हेमराज हंस --9575287490  ...

बेउहर के भीती लिखा ''अति गरीब परिवार ''।

दोहा 

बेउहर के भीती  लिखा ''अति गरीब परिवार ''।  
   पानी पानी होइ रही बाँच बाँच सरकार।
 हेमराज हंस --9575287490 

शुक्रवार, 29 मई 2015

भारत देस हमारै आय रहय का नहि आय बखरी। ।

बघेली कविता 

आजादी से अजुअव तक वइसै फटी ही कथरी। 
भारत देस हमारै  आय रहय का नहि आय बखरी। । 
देखा एक नजर जनतै पुन देखा आपन ठाठ। 
दस दस मोटर तोहरे दुअरा हमरे टुटही खाट। । 
कब तक हम अपना का ढोई लहकै लाग है कन्धा। 
तुहिन बताबा राजनीत अब सेवा आय कि धन्धा। । 
   क्रमशः ------------------------
हेमराज हंस ----9575287490  

बुधवार, 27 मई 2015

baghelikavita--कहिन नहा तुम दूध से दद्दी भईस दइन बे थन कै।

बघेली शेर 

कहिन नहा तुम दूध से दद्दी भईस  दइन बे थन कै। 
'मूड़े काही तेल नही औ  मनुस मुंगौरै ठनकै। । 
हेमराज हंस --9575287490 

कहां धरोगे ऎसे धन को जिसमें लगी हो आह।

दोहा 

कहां धरोगे ऎसे धन को जिसमें लगी हो आह। 
स्वयं ढूढ़ता वह चलने को घर में बारह राह। । 
हेमराज हंस --9575287490  

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : सूरज नेता विश्व का सबका पालनहार।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : सूरज नेता विश्व का सबका पालनहार।: दोहा  सूरज नेता विश्व का सबका पालनहार।  मानसून हित तिप रहा करने को उपकार। ।  हेमराज हंस -9575287490

सूरज नेता विश्व का सबका पालनहार।

दोहा 

सूरज नेता विश्व का सबका पालनहार। 
मानसून हित तिप रहा करने को उपकार। । 
हेमराज हंस -9575287490 

hemraj hans ---जो राष्ट्रीय पहिचान म कहू ठे होत कबीर।

दोहा

दोहा

जो राष्ट्रीय पहिचान म कहू ठे होत कबीर। 
तब न होत घिनहा यतर धरम केर उपचीर। । 
हेमराज हंस --9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : HEMRAH HANS-जैसे कोई पूंछ रहा हो 'भीमराव 'से जात। ...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : HEMRAH HANS-जैसे कोई पूंछ रहा हो 'भीमराव 'से जात। ...: दोहा  जले घाव पर हो रहा मिर्ची का आघात।  जैसे कोई पूंछ रहा हो 'भीमराव 'से जात। ।  हेमराज हंस --9575287490 

HEMRAH HANS-जैसे कोई पूंछ रहा हो 'भीमराव 'से जात। ।

दोहा 

जले घाव पर हो रहा मिर्ची का आघात। 
जैसे कोई पूंछ रहा हो 'भीमराव 'से जात। । 
हेमराज हंस --9575287490 

रविवार, 24 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल।: दोहा  खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल।  कूलर से बिजना कहिस जान्या हमरिव मोल। ।  हेमराज हंस

खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल।

दोहा 

खड़ी जलाका जेठ कै औ भै बिजली गोल। 
कूलर से बिजना कहिस जान्या हमरिव मोल। । 
हेमराज हंस 

उनही हमरे गाँव मा कांटा लगा थें। ।

मुक्तक 

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जे राजधानी मा डांटा लगा थें। 
उनही हमरे गाँव मा कांटा लगा थें। । 
उई  विज्ञापन कै मलाई छान रहे है  
ता  गाँव के समाचार माठा लगा थें। । 
हेमराज हंस 

उनही हमरे गाँव मा कांटा लगा थें। ।

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जेखे पीठे म बजा बारां का घरियार। 
ओहिन की दारी सुरिज कढ़ई खूब अबिआर। … 

शनिवार, 23 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै...: बघेली कविता  www.baghelisahitya.com --------------------------------------------------------------------------------------------- शहर ...

bagheli kavita नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै बाती।

बघेली कविता www.baghelisahitya.com

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शहर मा  जाके रहय लाग जब से आपन गाँव। 
भरी दुपहरी आँधर होइगै लागड़ होइ गै छाँव। । 

 गाँवन कै इतिहास बन गईं अब पनघट कै गगरी। 
 थरी कोनइता मूसर ज्यतबा औ कांडी कै बगरी। । 
              गड़ा बरोठे किलबा सोचइ पारी आबै माव  । 

हसिया सोचै अब कब काटब हम चारा का ज्यांटा। 
सोधई दोहनिया मा नहि बाजै अब ता दूध का स्यांटा। । 
काकू डेरी माही पूंछै दूध दही का भाव। 

 दुर्घट भै बन बेर बिही औ जामुन पना अमावट। 
''राजनीत औ अपराधी ''अस सगली हाट मिलावट। ।
      हत्तियार  के  बेईमानी मा डगमग जीवन नाँव। 

जब से पक्छिमहाई बइहर गाँव मा दीन्हिस खउहर। 
उन्हा से ता बाप पूत तक करै फलाने जउहर। । 
नात परोसी हितुअन तक मां एकव नही लगाव।  

कहै जेठानी देउरानी के देख देख के ठाठ  । 
हम न करब गोबसहर गाँव मा तोहरे बइठै काठ। । 
हमू चलब अब रहब शहर मा करइ कुलाचन घाव। 

नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै बाती। 
बीत रहीं गरमी कै छुट्टी  आयें न लड़िका नाती। ।    
खेर खूंट औ कुल देउतन का अब तक परा बधाव। 


ममता के ओरिया से टपकें अम्माँ केर तरइना। 
फून किहिन न फिर के झाँकिन दादू  बहू के धइन.। । 
यहै रंझ के बाढ़ मां हो थै लउलितियन का कटाव। 
शहर मा जाके ----------------------------------------
हेमराज हंस --9575287490   


















 

शहर मा जाके बसय लाग जब से आपन गाँव ----

कविता 

शहर   मा जाके बसय लाग जब से आपन गाँव  --------------------------------------------------
दुर्घट भै बन बेर बिही औ जामुन पना अमावट। 
राजनीत औ अपराधी अस सगली हाट  मिलावट। । 
बेईमानन के बेईमानी मा डगमग जीवन नाव। 
 

bagheli kavita बघेली कविता

 

बघेली  कविता 

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 दुर्घट भै बन बइर् ,बिहि,औ जामुन पना अमावट। 
राजनीत औ अपराधी औ अपराधी अस 

बुधवार, 20 मई 2015

आबा हम गाँव का कोलान देखाई थे।

मुक्तक 

आबा हम गाँव का कोलान देखाई थे। 
होन आजादी का बइकलान देखाई थे। । 
जेही तुम वोट कै मण्डी समझत्या है 
ओखे गरीबी का चालान देखाई थे। । 
हेमराज हंस 
  

मंगलवार, 19 मई 2015

 मुक्तक 

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BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।: मुक्तक  - देस         से   बड़ी   पार्टी  नही   होय।  जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।  भले   बिभीषन   भक्त   हें राम   के  पै विश्...

जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। ।

मुक्तक 

-
देस        से   बड़ी   पार्टी  नही   होय। 
जलाशय से बड़ी बाल्टी नही होय। । 
भले   बिभीषन   भक्त   हें राम   के 
पै विश्व मा गद्दारन कै आरती नही होय। । 
हेमराज हंस ----------9575287490 

सोमवार, 18 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।: मुक्तक  -------------------------------------- जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।  तब   जनता आपन पीठ बाँटा थी। ।  देस मा मजूरन के क्...

जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी।

मुक्तक 

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जब राजनीत गुंडन का सीट बाँटा थी। 
तब   जनता आपन पीठ बाँटा थी। । 
देस मा मजूरन के क्याबा होइ रहे हें 
ब्यवस्था मीठ मीठ भाषन बाँटा थी। । 
हेमराज हंस -----------9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : सूर्पनखा के नाक कै डिजाइन हेरा थें।।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : सूर्पनखा के नाक कै डिजाइन हेरा थें।।: मुक्तक  -------------------------------------------------- उई  प्रगतिशील हैं तउ डाईन  हेरा थें।  सूर्पनखा के  नाक कै डिजाइन हेरा थें...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।: मुक्तक  -------------------------------------------- भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।  बाउर अस है वा समाज जेखर आपन भाख न होय। । ...

भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय।

मुक्तक 

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भाई अस दूसर नही जो भउजाई बांख न होय। 
बाउर अस है वा समाज जेखर आपन भाख न होय। । 
बपुरी जनता नेम प्रेम भाई चारा से रहि तो लेय 
जो हमरे देस के नेतन का नैतिक अँधिआरी पाख न होय। । 
हेमराज हंस ---------------9575287490 

रविवार, 17 मई 2015

ये भी उसकी काफिआ सी लगती है। ।

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राजनीति माफिआ  सी लगती है। 
ये भी उसकी काफिआ सी लगती है। । 
हेमराज हंस 

शनिवार, 16 मई 2015

उई दहाई तक आय गें यहै दशा मा। ।

मुक्तक 

मोटाई  हरबी चढ़ा थी सत्ता के बसा मा। 
उई दहाई तक आय गें यहै दशा मा। । 
जनता कबहू  कहू कै सगही नही भै 
छिन मा उतरा थी जे रहा नशा मा। । 
हेमराज हंस 

भारत माता पाँव मा गुखरू बांधे बागा थी। ।

मुक्तक 

राजनीत पांव मा  घुंघरू बांधे बागा थी। 
भारत माता पाँव मा गुखरू बांधे बागा थी। । 
मँहगाई बजिंदा बोकइया कइ दीन्हिस 
गुंडई लंच का कुकड़ू कूं लये बागा थी। । 
हेमराज हंस  

गुरुवार, 14 मई 2015

सूर्पनखा के नाक कै डिजाइन हेरा थें।।

मुक्तक 

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उई  प्रगतिशील हैं तउ डाईन  हेरा थें। 
सूर्पनखा के  नाक कै डिजाइन हेरा थें।।
जब से मड़ये  तरी सारी से बोलियाँन  हें 
तब से उनही साढ़ूभाईन  हेरा  थें। । 
हेमराज हंस -----9575287490 

सोमवार, 11 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी: मुक्तक  ------------------------------------------- घिनहव   का नागा नही कहीं येही बड़प्पन मान कहा।  फलाने  कहा थें कि  हमहीं अकबर महा...

जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी

मुक्तक 

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घिनहव  का नागा नही कहीं येही बड़प्पन मान कहा। 
फलाने  कहा थें कि  हमहीं अकबर महान कहा। । 
जेहि ''वन्देमातरम ''गामय मा लाज लागा थी 
उई कहा थें हमू का भारत कै संतान कहा।।
हेमराज हंस 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।: मुक्तक  अनमन अनमन सयान बइठ हे।  टन मन पीरा के बयान बइठ हे। ।  दोउ जून जुड़े जिव रोटी नही मिलै  आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।      ...

आंसू पी पी के अघान बइठ हे। ।

मुक्तक 

अनमन अनमन सयान बइठ हे। 
टन मन पीरा के बयान बइठ हे। । 
दोउ जून जुड़े जिव रोटी नही मिलै 
आंसू पी पी के अघान बइठ हे। । 
       हेमराज हंस 

सोमवार, 4 मई 2015

हेन किसानन के घर मा गरुड़ पुरान होथी। ।

मुक्तक ---------------------------------

समाज मा  दहेज़ कै भारी दुकान होथी। 
नींद नही आबै जब बिटिया सयान होथी। । 
उई कहिन तै देस से कि भागवत सुनबाउब 
हेन किसानन के घर मा गरुड़ पुरान होथी। । 
हेमराज हंस ----9575287490 
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BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : माणिक दादा ने कहा उच्च कोटि के नीच। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : माणिक दादा ने कहा उच्च कोटि के नीच। ।: दोहा  जहाँ व्यवस्था ने कसी कस्तूरी घींच।  माणिक दादा ने कहा  उच्च कोटि के नीच। ।

माणिक दादा ने कहा उच्च कोटि के नीच। ।

दोहा 

जहाँ व्यवस्था ने कसी कस्तूरी  की घींच। 
माणिक दादा ने कहा  उच्च कोटि के नीच। । 
हेमराज हंस ---9575287490 

रविवार, 3 मई 2015

हमरे ईमानदारी का रकवा रोज घटा थै।

मुक्तक 

हमरे ईमानदारी का रकवा रोज घटा थै। 
या खबर बांच बाँच के करेजा फटा थै। । 
जब उनसे पूंछयन ता कहा थें फलाने 
चरित्र का प्रमाण पत्र थाने मा बटा थै। । 
हेमराज हंस -------9575287490 

शनिवार, 2 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। ।: शहीदन कै वंदना  ------------------------------------------------- धन्न धन्न सौ बेर धन्न य देस कै पावन माटी।  हमरे पुरखन का प्रताप औ ...

धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। ।

शहीदन कै वंदना 

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धन्न धन्न सौ बेर धन्न य देस कै पावन माटी। 
हमरे पुरखन का प्रताप औ भारत कै परिपाटी। । 
कहय लाग भारत माता धन्न बहिनी डोर कलाई का। 
जे सीमा मा संगीन लये दइन जीवन देस भलाई का। । 
धन्न कोख महतारी कै जे पूत दान दइन मूठी मा। 
मातृभूमि के देस प्रेम का दूध पिआइन घूंटी मा। । 
धन्न धन्न वा छाती का जेहि एकव है संताप नही। 
बलिदान पूत भा देस निता धन्न धन्न वा बाप कही। । 

धन्न धन्न वा येगुर काहीं  वा सेंदुर कै मांग धन्न। 
ज्याखर भा अहिवात अमर वा नारी केर सोहाग धन्न। । 

उई भाईन कै बांह धन्न मारिन सुबाहु मरीची अस। 
बइरी वृत्तासुर मरै का जे बन गें वज्र दधीची अस। । 
औ अपने अपने रक्तन से वन्दे मातरम उरेह दइन.। 
जब भारत माता मागिस ता उई हँसत निछावर देह दइन। । 

बोली हर हर महादेव कै बोल ऊचें सरहद्दी मा। 
औ बैरिन का मार भगाइन खेलै खेल कबड्डी मा। । 
धन्न उई अमर जबानन का जेहिं कप्फन मिला तिरंगा का। 
जब राख फूल पहुंची प्रयाग ता झूम उचा मन गंगा का। । 
ताल भैरवी देश राग तब गूंजी घाटी घाटी। 
धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देस कै पावन माटी। । 

गरजै लगे  सफ़ेद शेर औ बांधव गढ़ के हिरना। 
फूली नही समतीं बीहर औ केवटी के झिरना। । 
बीर सपूतन के उरांव मा डुबी गइया बछिया। 
बीर पदमधर के बलिदानव का खुब सुमिरै बिछिया। । 

बीर विंध्य कै सुनै कहानी नानी मुन्ना मुन्नी। 
गद्गद होइ गें चित्रकूट औ धार कुड़ी पयसुन्नी।।
अमरकंटक मा बिह्वल रेवा सुन के अमर कहानी। 
विंध पूत सीमा मा जाके बने अमर बलिदानी। । 
 
कलकल करत चली पछिम का दुश्मन कई दहाड़ी। 
सीना तानै'' नरो'' ''पनपथा'' औ" कैमोर' पहाड़ी। । 
तबहिंन हिन्द महा सागर मा बड़ बडबानाल धंधका। 
दुश्मन के भें ढ़ील सटन्ना हिन्दू कुश तक दंदका। ।  

गोपद बनास टठिया साजै औ सोन करै पूजा पाती। 
औ रेवा खुद धन्न होइ गई कइ के उनखर सँझबाती। । 
हे !उनखे तरबा का धूधुर हमरे लिलार का चन्दन बन। 
ओ कवि !तहू दे खून कुछू तबहिन होइ उनखर वंदन। । 
देस भक्ति जनसेवा बाली ही जिनखर परिपाटी। 
धन्न धन्न सौ बेर धन्न या देश कै पावन माटी। । 

हेमराज हंस 9575287490 

















 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे ठई भूख का नक्शा धरा है

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हमरे ठई भूख का नक्शा धरा है: मुक्तक  रमुआ का पंचर रक्शा धरा है।  औ परछी मा छूँछ बक्सा धरा है। ।  उई कहा थे य विपक्ष कै साजिश आय  हमरे ठई भूख   का नक्शा धरा है....

हमरे ठई भूख का नक्शा धरा है

मुक्तक 

रमुआ का पंचर रक्शा धरा है। 
औ परछी मा छूँछ बक्सा धरा है। । 
उई कहा थे य विपक्ष कै साजिश आय 
हमरे ठई भूख  का नक्शा धरा है.
हेमराज हंस --9575287490  

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।: मुक्तक  अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।  गिरे के बाद भुइ मा गाज नही मिलै। ।  लोकतंत्र मा जनता जेही ठोकराउथी  ओही हरबी हेरे ताज नही म...

अब एक रूपया कै भांज नही मिलै।

मुक्तक 

अब एक रूपया कै भांज नही मिलै। 
गिरे के बाद भुइ मा गाज नही मिलै। । 
लोकतंत्र मा जनता जेही ठोकराउथी 
ओही हरबी हेरे ताज नही मिलै। । 
हेमराज हंस --9575287490 

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आपन सहज बघेली आय।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : आपन सहज बघेली आय।: बघेली  आपन सहज बघेली आय।  गाँव के क्वारा कै खेली आय। ।  विंध्य हबै ज्याखर अहिवात  ऋषि अगस्त्य कै चेली आय। ।  हेमराज हंस --957528...

आपन सहज बघेली आय।

बघेली 

आपन सहज बघेली आय। 
गाँव के क्वारा कै खेली आय। । 
विंध्य हबै ज्याखर अहिवात 
ऋषि अगस्त्य कै चेली आय। । 
हेमराज हंस --9575287490 

शुक्रवार, 1 मई 2015

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।: बघेली कविता  मजूर   [बघेली कविता ] हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : -----------------------------------मजूर हम मजूर ब...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : ----------------------------------- मजूर हम मजूर ब...: ----------------------------------- मजूर  हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।  करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ। ।  माघ पूस क...
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मजूर 

हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। 
करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ। । 
माघ पूस कै ठाही हो चह नव तपा कै दुपहरिया। 
सामान भादौ के कादौ मा बे पनही बे छतरिया। । 
मिलब कहू हम पाथर फोरत करत कहू हरवाही। 
खटत खेत खरिहान खान म काहू  ताके पाही। । 
हम कहू का काम निकारी औ काहू के बंधुआ। 
कहै क त गंगा जल अस है पबरित हमार पसीना। 
तउ ''कर्मनाशा ''अस तन है पीरा पाले सीना।।
बड़े लगन से देश बनाई मेहनत करी आकूत। 
मेहनत आय गीता रामायन हम हन तउ अछूत। । 
छुआछूत का हइया दाबे देस समाज का टेटुआ। 
हम मजूर -----------------------------
हम पसीना   से देस का सीच्यन हमरै किस्मत सूखी। 
देस कोष मा भरयन लक्ष्मी घर कै लक्ष्मी भूखी। ।  
घूंट घूँट अपमान पिअत हम गढ़ी प्रगति कै सीढ़ी। 
मन तक गहन है बेउहर के हेन रिन मा चढ़ गयीं पीढ़ी। । 
फूका परा है हमरे घर मा तउ  हम गाई फगुआ। । 
हम मजूर ------------  
हमिन बनायन लालकिला खजुराहो ताज महल। 
हमिन बनायन  दमदम पालम  सुघर जिहाज महल। । 
हमहिंन बाँध्यन नदिया नरबा तलबा अउर तलइया। 
हमिन बनायन धमनी चिमनी लखनऊ भूल भुलइया। । 
हम सिसकत सीत ओसरिया माहीं धइ के सोई तरुआ। 
हम मजूर ---------

''कर्म प्रधान विश्व करी राखा ''कहि गें तुलसी दास। 
कर्म देव के हम विश्कर्मा देस मा पाई त्रास। । 
शोषक चुसि रहे हे हमही अमर बेल की नाइ। 
अउर चुहुकि के करै फराके गन्ना चीहुल घाई। । 
दुधिआ दातन मा बुढ़ाय गा हमरे गाँव का गगुआ। 
हम 

बिन खाये के गंडाही का है छप्पन जेउनार। 
कनबहिरे भोपाल औ दिल्ली को अब सुनै गोहर। । 
जब जब माग्यन उचित मजूरी तब तब निथरा खून। 
पूंजी पति के पॉय तरी है देस का श्रम कानून। । 
न्याय मांगे मा काल्ह मारे गें दत्ता नियोगी रघुआ। 

भले ठेस ठेठा कराह से हाँकी आपन अटाला। 
पै हम करब न घात देस मा भ्रष्टाचार घोटाला। । 
जे खून पसीना अउंट के माड़ै रोटी केर पिसान। 
हमी उराव है अइसन माई बाप कै हम संतान। । 
हमरे कुल मा पइदा नहि होंय डाकू गुंडा ठगुआ। 
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। ।
हेमराज हंस ----------9575287490

































हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।



बघेली कविता 





मजूर   [बघेली कविता ]



हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ।
करी मशक्क़त तनमन से हम गरमी जाड़े कदुआ। ।
माघ पूस कै ठाही हो चह नव तपा कै दुपहरिया। 
सामान भादौ के कादौ मा बे पनही बे छतरिया। ।
मिलब कहू हम पाथर फोरत करत कहू हरवाही।
खटत खेत खरिहान खान म काहू ताके पाही। ।
हम कहू का काम निकारी औ काहू के बंधुआ।

''कर्म प्रधान विश्व करी राखा ''कहि गें तुलसी दास। 
कर्म देव के हम विश्कर्मा देस मा पाई त्रास। । 
शोषक चुसि रहे हे हमही अमर बेल की नाइ। 
अउर चुहुकि के करै फराके गन्ना चीहुल घाई। । 
दुधिआ दातन मा बुढ़ाय गा हमरे गाँव का गगुआ। 
हम पसीना से देस का सीच्यन हमरै किस्मत सूखी। 
देस कोष मा भरयन लक्ष्मी घर कै लक्ष्मी भूखी। । 
घूंट घूँट अपमान पिअत हम गढ़ी प्रगति कै सीढ़ी। 
मन तक गहन है बेउहर के हेन रिन मा चढ़ गयीं पीढ़ी। । 
फूका परा है हमरे घर मा तउ हम गाई फगुआ। । 
हम मजूर ------------

हमिन बनायन लालकिला खजुराहो ताज महल। 
हमिन बनायन दमदम पालम सुघर जिहाज महल। । 
हमहिंन बाँध्यन नदिया नरबा तलबा अउर तलइया। 
हमिन बनायन धमनी चिमनी लखनऊ भूल भुलइया। । 
हम सिसकत सीत ओसरिया माहीं धइ के सोई तरुआ। 
कहै क त गंगा जल अस है पबरित हमार पसीना। 
तउ ''कर्मनाशा ''अस तन है पीरा पाले सीना।।
बड़े लगन से देश बनाई मेहनत करी आकूत। 
मेहनत आय गीता रामायन हम हन तउ अछूत। । 
छुआछूत का हइया दाबे देस समाज का टेटुआ। 
हम मजूर ---
बिन खाये के गंडाही का है छप्पन जेउनार। 
कनबहिरे भोपाल औ दिल्ली को अब सुनै गोहर। । 
जब जब माग्यन उचित मजूरी तब तब निथरा खून। 
पूंजी पति के पॉय तरी है देस का श्रम कानून। । 
न्याय मांगे मा काल्ह मारे गें दत्ता नियोगी रघुआ। 
हम मजूर ---------------------------------
 भले ठेस ठेठा कराह से हाँकी आपन अटाला। 
पै हम करब न घात देस मा भ्रष्टाचार घोटाला। । 
जे खून पसीना अउंट के माड़ै रोटी केर पिसान। 
हमी उराव है अइसन माई बाप कै हम संतान। । 
हमरे कुल मा पइदा नहि होंय डाकू गुंडा ठगुआ। 
हम मजूर बनिहार बरेदी आह्यन लेबर लगुआ। । 
 हेमराज हंस ----------9575287490  bagheli sahitya

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।

        *लोकगीत  * दार महँगी  है  खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी  ।    भाव     सुनत  मा    लागय   ठुसका।। दार महँगी  ।।     किधनव  बनाउब  पान...